उत्तराखंडी लोक भाषा में समानार्थी शब्दों के प्रयोग एवं समरूप साहित्य के निर्माण” पर दो दिवसीय कार्यशाला प्रारंभ
नैनीताल, 7 मार्च (हि.स.)। कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल के हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग, यूकॉस्ट और उत्तराखण्डी भाषा न्यास (उभान) के संयुक्त तत्वावधान में कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल के बुरांश सभागार में शुक्रवार को दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन प्रारंभ हो गया है। “उत्तराखंडी लोक भाषा में समानार्थी शब्दों का प्रयोग एवं समरूप साहित्य का निर्माण” विषयक इस कार्यशाला के प्रथम सत्र का शुभारंभ कुमाऊं मंडल के मंडलायुक्त दीपक रावत एवं अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया।
विषय के प्रवर्तक उत्तराखण्डी भाषा न्यास के सचिव डॉ. बिहारी लाल जलंधरी ने कुमाउनी और गढ़वाली भाषाओं की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए देशभर की भाषाओं की समरूप शब्दावली पर ध्यान आकर्षित किया। मुख्य वक्ता उत्तराखण्डी भाषा न्यास के अध्यक्ष नीलांबर पांडे ने उत्तराखंडी बोलियों का आधार संस्कृत को बताते हुए वर्तमान शब्दावली के संरक्षण और एक प्रतिनिधि भाषा निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मंडलायुक्त दीपक रावत ने उत्तराखंड के गांवों के नामों में स्थानीय भाषाओं की विशेषता पर चर्चा करते हुए सुझाव दिया कि समाचार पत्रों में उत्तराखंडी बोलियों के शब्दों को स्थान दिया जाना चाहिए, जैसे अंग्रेजी समाचार पत्रों में विभिन्न विदेशी शब्दों का समावेश किया जाता है।
इस अवसर पर कूटा के अध्यक्ष प्रो. ललित तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यशाला में कुमाऊँ विश्वविद्यालय की हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग की प्रो. चन्द्रकला रावत, डॉ. शुभा मटियानी, डॉ. शशि पांडे, मेधा नैलवाल, डॉ. कंचन आर्या, डॉ. दीक्षा मेहरा, प्रो. सावित्री कैड़ा जंतवाल, प्रो. ज्योति जोशी, प्रो. चित्रा पांडे, प्रो. एमएस मावड़ी, डॉ. नंदन बिष्ट, प्रो. गीता तिवारी, डॉ. सुची बिष्ट, डॉ. रूमा साह, डॉ. प्रभा साह, यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत आदि ऑनलाइन माध्यम से जुड़े।