दुनिया भर में सेहत से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। बीते कुछ सालों में हृदय रोग, डायबिटीज, कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा काफी ज्यादा बढ़ा है। खासतौर पर महिलाओं में न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ रही हैं। इसका असर स्वास्थ्य सेवाओं पर भी पड़ रहा है जिससे इलाज करवाने में और देरी हो रही है।

महिलाओं में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति चिंताजनक

मेडिकल रिपोर्ट्स बताती हैं कि चिंता (एंग्जायटी) और डिप्रेशन जैसी मानसिक बीमारियों का खतरा महिलाओं में पुरुषों की तुलना में लगभग दोगुना होता है। भारत में रिपोर्ट की गई आत्महत्याओं में से करीब 36.6% मामलों में इसका संबंध मानसिक स्वास्थ्य से जोड़ा जा रहा है।

हाल ही में दिल्ली में हुए एक स्वास्थ्य कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने बताया कि कई महिलाएं लापरवाही या सुविधाओं की कमी के कारण समय पर इलाज नहीं करवा पातीं। एम्स की पूर्व प्रोफेसर डॉ. नीरजा भटला के अनुसार, ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर और एनीमिया जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं लेकिन समय पर जांच और इलाज न मिलने से ये बीमारियां गंभीर रूप ले लेती हैं।

महिला स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत

कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने कहा कि महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर अभी भी जागरूकता की कमी है। खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं न के बराबर हैं। डॉ. शेली महाजन ने बताया कि नई टेक्नोलॉजी और डेटा एनालिटिक्स से जल्द बीमारी पकड़कर सही इलाज दिया जा सकता है।

स्वास्थ्य सेवाओं की कमी बनी बड़ी चुनौती

जनवरी में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में महिला डॉक्टरों की कमी के कारण 91% महिलाएं मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं पर डॉक्टर से सलाह नहीं ले पातीं। कई लड़कियों को स्कूलों में साफ-सुथरे शौचालय न मिलने के कारण परेशानी होती है जिससे वे कई दिनों तक स्कूल नहीं जा पातीं।

समय से पहले रजोनिवृत्ति से बढ़ रही स्वास्थ्य समस्याएं

एक रिसर्च के मुताबिक भारतीय महिलाओं में 30-49 साल की उम्र में 15% मामलों में समय से पहले रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) देखी जा रही है जबकि सामान्यतः यह उम्र 50-55 साल होती है। समय से पहले मेनोपॉज होने से महिलाओं में हृदय रोग, हड्डियों की कमजोरी और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार इसके लिए खराब लाइफस्टाइल और पर्यावरणीय बदलाव जिम्मेदार हो सकते हैं।

महिलाओं की सेहत के लिए जरूरी कदम

समय पर जांच और इलाज करवाना बेहद जरूरी है। मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना चाहिए। ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर करने की जरूरत है। महिलाओं को सही खान-पान और लाइफस्टाइल अपनाने के लिए जागरूक करना होगा। 

वहीं अगर महिलाओं को समय पर इलाज मिले और उन्हें अपने स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखने के लिए जागरूक किया जाए तो इन गंभीर बीमारियों को काफी हद तक रोका जा सकता है।

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