शिमला नगर निगम आयुक्त की अदालत ने शनिवार को संजौली मस्जिद के ऊपरी तीन अनधिकृत मंजिलों को गिराने का आदेश दिया और वक्फ बोर्ड एवं मस्जिद समिति को आदेश लागू करने के लिए दो महीने का समय दिया।
अदालत ने आदेश दिया कि मस्जिद की अनधिकृत मंजिलों को गिराने का काम वक्फ बोर्ड के खर्च पर किया जाएगा। अदालत ने शेष दो मंजिलों (भूतल और प्रथम तल) के संबंध में अगली सुनवाई 21 दिसम्बर के लिए निर्धारित कर दी।
हिंदू संगठन, मस्जिद में अनधिकृत निर्माण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर अवैध मंजिलों को गिराने की मांग कर रहे हैं। शिमला में 11 सितम्बर को हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान 10 लोग घायल हो गए थे। इसके एक दिन बाद, मुस्लिम कल्याण समिति ने नगर निगम आयुक्त को एक ज्ञापन देकर मस्जिद के एक अनधिकृत हिस्से को सील करने और उस हिस्से को खुद से गिराने का कहा था।
अदालत ने अनधिकृत हिस्से को गिराने के लिए शनिवार को समिति की इच्छा का हवाला दिया और पांच मंजिला मस्जिद की ऊपरी तीन मंजिलों को गिराने का आदेश दिया।
वक्फ बोर्ड के वकील बीएस ठाकुर ने बताया कि अदालत ने मस्जिद के ‘अनधिकृत’ हिस्से को गिराने के लिए समिति के ज्ञापन को स्वीकार कर लिया और मामले में तीसरा पक्षकार बनने की स्थानीय नागरिकों की याचिका खारिज कर दी। उन्होंने कहा कि हमें अभी विस्तृत आदेश नहीं मिला है।
स्थानीय लोगों का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता जगत पाल ने 2010 से विवाद की स्थिति का विस्तृत ब्यौरा दिया। उस वक्त नगर निगम ने निर्माणाधीन मस्जिद की एक मंजिल के निर्माण को ध्वस्त करने के लिए नोटिस दिया था और दावा किया कि आदेशों का पालन नहीं किया गया।
उन्होंने कहा, 2018 में निगम के एक कनिष्ठ अभियन्ता ने मौके पर निरीक्षण के दौरान पाया कि पांच मंजिलों का निर्माण किया गया था। पाल ने कहा, जमीन सरकार की है और वक्फ बोर्ड ने मुसलमानों को मस्जिद बनाने की अनुमति दी थी लेकिन सरकारी जमीन या किसी अन्य पक्ष के स्वामित्व वाली जमीन पर नहीं।
वक्फ बोर्ड ने हालांकि दावा किया कि उसके पास उस जमीन के सभी कागजात हैं, जहां मस्जिद बनाई गई थी। आयुक्त के निर्देश के बाद मस्जिद समिति के अध्यक्ष मुहम्मद लतीफ ने कहा, हमने 12 सितंबर को मस्जिद की अनधिकृत मंजिलों को गिराने की पेशकश की थी और हमें आदेश से कोई आपत्ति नहीं है।