दिल्ली के निजी स्कूलों में बेतहाशा फीस वृद्धि के मामले में अभिभावकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय और ‘एक्शन कमेटी ऑफ अनएडेड रिकॉग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल्स’ को नोटिस जारी किया है।

बता दें कि कार्रवाई अभिभावकों की ओर से दायर एक याचिका के बाद की गई है, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट के उन दो फैसलों को चुनौती दी गई है, जिसमें हाईकोर्ट ने कहा था कि सरकारी जमीन पर बने निजी स्कूलों को ट्यूशन फीस बढ़ाने के लिए शिक्षा निदेशालय की अनुमति की जरूरत नहीं है।

बता दें कि पैरंट्स एसोसिएशन की याचिका उच्च न्यायालय के 28 अप्रैल और 8 अप्रैल के आदेश, सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों के खिलाफ हैं। इन आदेशों के कारण दिल्ली के गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूल 100 फीसदी तक फीस बढ़ा रहे हैं। इससे अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बढ़ा है और फीस न चुका पाने वाले छात्रों के खिलाफ स्कूल कार्रवाई कर रहे हैं।

अभिभावकों की याचिका में यह भी दावा किया गया है कि इन आदेशों ने शिक्षा व्यवस्था में भ्रम की स्थिति भी पैदा कर दी है।

इस मामले में याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि उच्च न्यायालय के इन आदेशों को रद्द किया जाए और साथ ही अंतरिम राहत के तौर पर इन आदेशों के अमल पर रोक लगाई जाए।

अभिभावकों की इस याचिका में कहा गया है कि बिना किसी नियमन के फीस वृद्धि से गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है।

अभिभावकों का कहना है कि स्कूलों की मनमानी को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप जरूरी है।

पुलिस और शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि इस मामले की जांच और सुनवाई से स्कूलों में फीस निर्धारण की प्रक्रिया पर स्पष्ट दिशा-निर्देश मिल सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई में इस मामले पर और विस्तार से चर्चा होने की संभावना है।

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