मध्य प्रदेश के सागर जिले में मंदिर के भंडारे में खाने के लिए दलित परिवार के साथ भेदभाव और जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल का मामला सामने आया है। दलित परिवार ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। पुलिस आरोपियों की तलाश में जुटा है।
बताया जा रहा है कि सागर जिले के सेमरा गांव में राम जानकी मंदिर में चार जुलाई को भंडारा था। मंदिर में आयोजित भंडारा में खाने पहुंचे दलित परिवार को प्रसाद नहीं लेने दिया गया। दलित परिवार ने गांव के उच्च जाति समुदाय से संबंधित दो लोगों पर उन्हें प्रसाद देने से इनकार करने और उन पर फेंकने का भी आरोप लगाया है।
पीड़ित दलितों ने कहा कि पूरे गांव से दान और अनाज इकट्ठा करके सामुदायिक भोज (भंडारा) की व्यवस्था की गई थी। दलित समुदाय के सदस्यों ने भी योगदान दिया था। जब भंडारे का दिन तय हुआ तो हमलोग भी मंदिर पहुंचे। इस दौरान गांव के निवासी बब्लू कुशवाहा और राम भजन यादव ने दलित महिलाओं और बच्चों पर प्रसाद फेंक दिया। आरोपियों ने भंडारा खा रहे लोगों के साथ दलित को न बैठने की चेतावनी भी दी।
जब दलित समुदाय के सदस्यों ने इस भेदभावपूर्ण व्यवहार पर आपत्ति जताई, तो कुशवाहा और यादव ने अपमानजनक जाति-आधारित अपशब्दों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। घटना के बाद दलित समुदाय ने उसी दिन अमादारा थाने में लिखित शिकायत दर्ज करायी और कड़ी कार्रवाई की मांग की।
7 जुलाई को दोनों आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 294 (अश्लील कृत्य या शब्द), 506 (आपराधिक धमकी), अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। दोनों आरोपी फिलहाल फरार हैं।
पीड़ित शंखी चौधरी ने आपबीती सुनाते हुए कहा, “उन्होंने (आरोपी) कहा कि तुम इसके हकदार नहीं हो, तुम नीची जाति के हो, इसलिए हम तुम्हें खाना नहीं खिलाएंगे। उन्होंने हम पर प्रसाद फेंका, मेरी बेटी उसे लेने की कोशिश में गिर गई।”
घटना के समय वहां मौजूद कंचन चौधरी ने कहा, “वे भंडारे के नाम पर अनाज लेते हैं। जब हम जाते हैं तो वे हमें सीधे प्रसाद नहीं देते। जब हमने उनसे कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि अगर तुम्हें प्रसाद लेना है तो लो, नहीं तो यहां से चले जाओ। जब हमने प्रसाद को छुआ तो उसने (आरोपी) हमें गाली देना शुरू कर दिया। वे 3-4 साल से ऐसा कर रहे हैं।”