ज्ञानवापी परिसर का साइंटिफिक सर्वे निर्बाध गति से चल रहा है। ऐसे में बीते शुक्रवार को ज्ञानवापी परिसर में बीते साल मई माह में हुए कोर्ट कमीशन सर्वे प्रतीक चिह्नों को संरक्षित करने का वाद दायर किया गया है। यह वाद मुख्यवाद श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद की वादी राखी सिंह ने दायर किया है। इसमें मस्जिद में नमाजियों की संख्या भी सीमित करने की मांग की गयी है। इस वाद की आज दोपहर बाद जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश सुनवाई करेंगे।
इस वाद में वादी राखी सिंह ने कोर्ट से अनुरोध किया है कि ज्ञानवापी परिसर में नमाजियों की संख्या सीमित किए जाने का कठोर नियम बनाया जाए। इसके अलावा ज्ञानवापी परिसर के किसी भी हिस्से और संरचना की रंगाई-पुताई न की जाए। इसके लिए भी नियम बनाने जाएं। वादी के अधिवतना अनुपम द्विवेदी ने बताया कि यह आवेदन इलाहबाद हाईकोर्ट के आदेश क्रम में दिया गया है।

दावा है कि दशाश्वमेध वार्ड के प्लॉट नंबर 9130 में ब्रह्मांड के विधाता भगवान शिव ने लाखों साल पहले स्वयं ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी। उस मंदिर को वर्ष 1669 में मुगल शासक औरंगजेब ने ध्वस्त कराकर उसके ढांचे के ऊपर मस्जिद बना दी थी। प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के लोग ज्ञानवापी में मौजूद हिंदू धर्म से संबंधित चिह्नों और प्रतीकों को नुकसान पहुंचाने व नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं।

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