उत्तर प्रदेश में बीते कुछ दिनों से मौसम का मिजाज पूरी तरह बदल गया है। बुधवार देर शाम से लेकर गुरुवार सुबह तक राज्य के कई जिलों में आंधी-तूफान, ओलावृष्टि और तेज बारिश ने भारी तबाही मचाई। कई जगहों पर बिजली गिरने, पेड़ गिरने और दुर्घटनाओं की वजह से कम से कम 12 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें किसान, डॉक्टर, महिलाएं और पुलिसकर्मी शामिल हैं। दर्जनों लोग घायल हुए हैं और फसलें बर्बाद हो गई हैं। इस भीषण आपदा को देखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तत्काल संबंधित जिलों के अधिकारियों को राहत और बचाव कार्य तेज़ी से संचालित करने के सख्त निर्देश दिए हैं।

12 जिलों में तबाही का मंजर

  • राज्य के पश्चिमी और मध्य हिस्सों में मौसम की यह मार सबसे अधिक देखी गई।
  • मेरठ: रूहासा गांव में पेड़ गिरने से किसान की मौत।
  • मोदीपुरम: चलती कार पर यूनिपोल गिरा, डॉक्टर की मौत।
  • बिजनौर: पुलिसकर्मी सहित कुल 5 मौतें।
  • सहारनपुर: आकाशीय बिजली से 2 किसानों की मौत।
  • नोएडा: 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चली तेज हवाएं, कई इलाकों में पेड़ और बिजली के खंभे उखड़ गए।
  • गाजियाबाद: आंधी में दो महिलाओं समेत तीन लोगों की मौत।
  • लखनऊ, हापुड़, अमरोहा, संभल, आगरा आदि जिलों में भी भारी बारिश और तेज हवाओं का कहर देखा गया।

मुख्यमंत्री के निर्देश: क्षेत्रीय अधिकारियों को राहत कार्यों में तत्परता बरतने के आदेश

  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आपदा के तुरंत बाद राज्य के समस्त जिलाधिकारियों और पुलिस प्रशासन को निर्देश दिए कि:
  • तत्काल क्षेत्र का दौरा करें और राहत कार्य शुरू करें।
  • जहां जनहानि या पशु हानि हुई है, वहां शीघ्र मुआवजा प्रदान करें।
  • घायलों का मुफ्त और समुचित इलाज कराया जाए।
  • जिन क्षेत्रों में फसल नुकसान हुआ है, वहां सर्वेक्षण कर रिपोर्ट शासन को भेजी जाए।
  • जलभराव की स्थिति होने पर जल निकासी की व्यवस्था प्राथमिकता से कराई जाए।

फसलों को भारी नुकसान, किसानों की बढ़ी चिंता

इस मौसम की मार से सबसे अधिक कृषि क्षेत्र प्रभावित हुआ है। मेरठ, बिजनौर, अमरोहा, और मुरादाबाद के ग्रामीण क्षेत्रों में गेहूं, आम, सब्जियों और गन्ने की फसलें बर्बाद हो गई हैं। किसानों का कहना है कि बुवाई के अंतिम चरण में ओलावृष्टि और तेज हवाओं ने पूरी मेहनत पर पानी फेर दिया। मुख्यमंत्री ने किसानों को राहत देने के लिए राजस्व विभाग को त्वरित सर्वे और मुआवजा वितरण के निर्देश दिए हैं। यदि आवश्यक हो, तो राज्य आपदा राहत कोष (SDRF) से राशि दी जाएगी।

बिजली गिरने से सबसे ज्यादा मौतें

  • बिजली गिरने की घटनाएं इस बार खासतौर पर घातक साबित हुईं:
  • सहारनपुर के दो किसान खेत में काम करते समय बिजली की चपेट में आ गए।
  • बिजनौर में चार लोगों की मौत सिर्फ आकाशीय बिजली से हुई।
  • नोएडा और हापुड़ में भी इसी प्रकार के कई मामले दर्ज किए गए हैं।
  • इसलिए सरकार ने विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली से बचाव के लिए जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं।

चिकित्सा व्यवस्था और राहत केंद्र सक्रिय

  • आपदा के बाद से सभी जिलों में:
  • जिला अस्पतालों में इमरजेंसी डेस्क सक्रिय कर दिए गए हैं।
  • घायलों को मुफ्त इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।
  • राहत केंद्र बनाए गए हैं जहां बारिश में प्रभावित परिवारों को राशन, कंबल और दवाइयां दी जा रही हैं।

राज्य आपदा प्रबंधन की सक्रियता

राज्य आपदा प्रबंधन विभाग (SDMA) ने बताया है कि प्रभावित जिलों में रैपिड रिस्पांस टीम को रवाना कर दिया गया है। NDRF और SDRF की सहायता से बचाव अभियान चलाए जा रहे हैं। नुकसान का विस्तृत डेटा इकट्ठा किया जा रहा है जिसे केंद्र सरकार को भी भेजा जाएगा, ताकि राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से मदद मिल सके।

मौसम विभाग की चेतावनी: अभी और बरसात संभव

भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने चेतावनी दी है कि अगले 48 घंटों में उत्तर प्रदेश के 20 जिलों में तेज हवाएं और गरज-चमक के साथ बारिश हो सकती है। किसानों और नागरिकों को सलाह दी गई है कि बिजली के दौरान खुले में ना रहें, मोबाइल चार्जिंग से दूर रहें और पक्के मकानों में शरण लें।

सरकारी सहायता और राहत पैकेज की तैयारी

प्रदेश सरकार ने संकेत दिए हैं कि जल्द ही एक विशेष राहत पैकेज की घोषणा हो सकती है। मृतकों के परिजनों को ₹4 लाख तक की सहायता। पशु हानि के लिए ₹30,000 से ₹1 लाख तक की राहत। फसल नुकसान के लिए प्रति हेक्टेयर ₹13,500 तक की मदद दी जा सकती है।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights