उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में एक महिला के साथ हुए गैंगरेप के मामले में नया मोड़ आया है। जहां एक तरफ योगी सरकार अपराधियों पर कार्रवाई कर रही है, वहीं दूसरी तरफ कानून व्यवस्था को चुनौती देने वाले कुछ लोग भी सक्रिय हैं। ताजा मामला उस महिला के पति की हत्या का है, जिसने अपनी पत्नी के लिए न्याय की लड़ाई लड़ी थी।पीड़िता के पति की हत्या कर उसका शव बुरी तरह से जलाकर फेंका गया था। मृतक का शव मैनपुरी जिले के एक खेत में मिला। परिवार के सदस्यों का आरोप है कि पूर्व ग्राम प्रधान भोला यादव ने उनके खिलाफ दबाव बनाने की कोशिश की थी ताकि वे मामला वापस ले लें।

जानिए, क्या हुआ था?
पीड़िता ने बताया कि पिछले साल जून में ग्राम प्रधान ने उसे अपने घर बुलाया और उसके साथ बलात्कार किया। इसके बाद, उसने उसका अपहरण कर लिया और उसे लगभग 4 महीने तक बंधक रखा। जब पीड़िता और उसके परिवार ने आरोपी के खिलाफ मुकदमा दायर किया, तो आरोपी ने पीड़िता के पति पर समझौते के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया।

पुलिस की कार्रवाई
मैनपुरी के एएसपी राहुल मिठास ने कहा कि मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और मामले की जांच जारी है। पीड़िता के वकील महेंद्र भारद्वाज ने आरोप लगाया कि पुलिस ने प्रारंभ में बलात्कार के आरोप को एफआईआर से हटा दिया था, लेकिन अदालत के आदेश के बाद मामले में फिर से सामूहिक बलात्कार की धाराएं जोड़ी गईं।

परिवार का आरोप
मृतक के पिता ने कहा कि उनके बेटे का शव जलाकर पहचान छुपाने की कोशिश की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व ग्राम प्रधान और अन्य आरोपी परिवार को समझौते के लिए दबाव डाल रहे थे। मृतक के परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है और न्याय की मांग की है। वहीं यह मामला मैनपुरी में कानून व्यवस्था की स्थिति पर सवाल खड़ा करता है, जहां एक ओर सरकार अपराधियों पर नकेल कसने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

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