ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद करीब 355 सालों से चला आ रहा है। हिंदू पक्ष दावा करती आ रही है कि ज्ञानवापी मंदिर को साल 1669 के दौरान ध्वस्त किया गया था फिर उसी जगह पर पुराने ढांचे के उपर मस्जिद बनाई गई। इस मामले में करीब 33 साल से मुकदमा भी चल रहा है। हिन्दू और मुस्लिम पक्ष के अपने-अपने दावे है।
हाल ही में एएसआई (ASI) की एक रिपोर्ट में कहा गया, “वैज्ञानिक अध्ययन/सर्वेक्षण के आधार पर वास्तुशिल्प अवशेषों, उजागर विशेषताओं और कलाकृतियों शिलालेखों, कला और मूर्तियों का अध्ययन किया गया, यह कहा जा सकता है कि मौजूदा संरचना के निर्माण से पहले वहां एक हिंदू मंदिर मौजूद था।”
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) की इस रिपोर्ट को लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने एएसआई को हिंदुत्व की कठपुतली करार दिया है।
उन्होंने एक्स पर लिखा, “यह पेशेवर पुरातत्वविदों या इतिहासकारों के किसी भी समूह के सामने अकादमिक जांच में टिक नहीं पाएगा। रिपोर्ट अनुमान पर आधारित है और वैज्ञानिक अध्ययन का मज़ाक उड़ाती है। जैसा कि एक महान विद्वान ने एक बार कहा था एएसआई हिंदुत्व की दासी है।”
This wouldn’t stand academic scrutiny before any set of professional archaeologists or historians. The report is based on conjecture and makes a mockery of scientific study. As a great scholar once said “ASI is the handmaiden of Hindutva“ https://t.co/vE76X1uccM
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) January 25, 2024
एएसआई ने काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद, जिसका निर्माण 17वीं सदी के दौरान माना जाता है, का वैज्ञानिक सर्वे किया था। यह सर्वे यह पता लगाने के लिए किया गया था कि क्या इस मस्जिद का निर्माण किसी मंदिर की पहले से मौजूद संरचना के ऊपर किया गया था या नहीं।
इस सर्वे की इजाजत अदालत ने दी थी। सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर हिंदू पक्ष ने एक बार फिर ये दावा किया है कि ज्ञानवापी मस्जिद वहां पहले से मौजूद एक पुराने मंदिर के अवशेषों पर बनाई गई थी। हालांकि, ओवैसी इस रिपोर्ट से सहमत नजर नहीं आ रहे हैं।