लोकसभा चुनाव 2024 का रण जीतने के लिए भाजपा यूपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी आज अपनी नई टीम की घोषण कर दी है। इस बदलाव के जरिए भाजपा न केवल क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की कोशिश की है, बल्कि जातीय समीकरणों को भी साधने पर उसका फोकस रहा है। बता दें कि भाजपा लोकसभा चुनाव को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है।
2024 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से इन जिला अध्यक्षों के बदलाव को काफी अहम माना जा रहा है। लखनऊ से दिल्ली तक करीब दो माह की मशक्कत के बाद नई टीम में एक-एक सदस्य की तैनाती आगामी चुनाव का लक्ष्य पाने के लिए जातीय और क्षेत्रीय संतुलन को ध्यान में रखकर की गई है।
भाजपा ने लखनऊ महानगर अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी आनंद द्विवेदी को दी है। जबकि जिलाध्यक्ष पद पर विनय प्रताप सिंह को लाया गया है। भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए ब्राह्मण और क्षत्रिय चेहरों को सामने किया है।
सुलतानपुर से डा. आरए वर्मा एक बार फिर भाजपा जिलाध्यक्ष बने हैं। पार्टी हाईकमान ने उन पर भरोसा जताया है। भाजपा पिछड़ी जाति का अध्यक्ष बना लोकसभा चुनाव का समीकरण साधने की जुगत में है। आगरा में भाजपा जिलाध्यक्ष गिर्राज कुशवाहा और महानगर अध्यक्ष भानु महाजन को दोबारा मौका मिला है। दोनों पर पार्टी फिर से भरोसा जताया है।
पहले चरण में काशी प्रांत के 16 जिलों के अध्यक्ष बदले गए हैं। इनमें प्रयागराज के महानगर, गंगापार और यमुनापार के अध्यक्ष शामिल हैं। महानगर की कमान राजेंद्र मिश्र को मिली है। यह पूर्व में भी महानगर अध्यक्ष रह चुके हैं। वहीं, गंगापार की अध्यक्ष कविता पटेल बनाई गई हैं, जबकि यमुनपार के अध्यक्ष विनोद प्रजापति बने हैं। इसके जरिए ब्राह्मण व पिछड़ी जाति के वोटरों को साधने का प्रयास किया है।
नवाबों के शहर रामपुर में पिछले साल हुए विधानसभा उपचुनाव में पहली बार भाजपा का विधायक बना और पहली बार ही हिंदू विधायक चुना गया। अब भाजपा ने पहली बार अनुसूचित जाति के नेता को पार्टी का जिलाध्यक्ष बनाया है। प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने जिला पंचायत सदस्य हंसराज पप्पू को रामपुर का जिलाध्यक्ष नियुक्त किया है। श्री पप्पू ब्लॉक प्रमुख रह चुके हैं। वह अच्छे कारोबारी भी हैं । उनका पेट्रोल पंप और गैस की एजेंसी है। उनके जिला अध्यक्ष बनने से समर्थकों में खुशी की लहर है।
यूपी बीजेपी में पिछले काफी समय से संगठन में बदलाव की चर्चाएं चल रही थी, जिसके बाद आज ये सूची जारी कर गई। नए संगठन में सभी जातियों और क्षेत्रीय समीकरण को साधने की कोशिश की गई है। इसके साथ ही जिले के समीकरण को भी ध्यान में रखा गया है। आगामी चुनाव के मद्देनजर ये बदलाव बेहद अहम है।