पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के एक सर्वे में ऐसी ही कुछ बातें सामने आई हैं। 2700 एआई शोधकर्ताओं के साथ किए गए अध्ययन में महज पांच फीसदी ने माना है कि एआई मानव जाति के विलुप्त होने का कारण बन सकती है। दूसरी ओर एआई शोधकर्ता रोमन याम्पोल्स्की ने एक साक्षात्कार में बताया कि वे अगले 100 वर्षों में इस खतरे की आशंका 99.9 फीसदी मानते हैं। रोमन लुइसविले विश्वविद्यालय में कंप्यूटर विज्ञान के प्रोफेसर हैं।

हाल ही इनकी पुस्तक ‘एआई: अनएक्सप्लेनेबल, अनप्रेडिक्टेबल, अनकंट्रोलेबल’ प्रकाशित हुई है। याम्पोल्स्की ने कहा कि एआई द्वारा मानतवा को नष्ट करने की आशंका इस बात पर निर्भर करती है कि क्या मुनष्य अगले 100 वर्ष में बग रहित जटिल सॉफ्टवेयर बना सकता है। उन्हें लगता है यह असंभव है। एआई मॉडल पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है, क्योंकि लोग एआई से ऐसी अपेक्षाएं करते हैं, जिसके लिए इसे डिजाइन नहीं किया गया है। डवलपर्स पहले ही गलतियां कर चुके हैं।
याम्पोल्स्की ने कहा, एआई शुरुआत में ही इसके दुरुपयोग और गलत सूचना के लिए प्रसार को रोक पाने में सक्षम नहीं है। डीपफेक से हस्तियों, खासकर महिलाओं की नकली तस्वीरें बनाई जा रही हैं तो एआई रोबोकॉल के जरिए चुनावों को प्रभावित करने की धमकी दी जाती है। मसलन पिछले दिनों अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन की नकल का वीडियो सामने आया था। उन्होंने एआई को नियंत्रित करने के लिए सतत सुरक्षा प्रणाली की आवश्यकता पर बल दिया है।

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