महाराष्ट्र में पिछले साल के राजनीतिक संकट पर सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार के फैसले से भाजपा के सहयोग से मुख्यमंत्री बने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बनी सरकार पर मंडराते संकट के बादल फिलहाल छंट गए। भारत के चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस एम. आर. शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और पी. एस. नरसिम्हा की संविधान पीठ ने कहा कि पूरे घटनाक्रम में तत्कालीन राज्यपाल द्वारा सदन में शक्ति परीक्षण कराने और विधानसभा अध्यक्ष का व्हिप की नियुक्ति का फैसला गलत था।

वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उद्धव ठाकरे का दर्द छलक गया। उद्धव ठाकरे ने कहा कि पार्टी के कुछ लोगों की गद्दारी की वजह से आज के दिन का सामना करना पड़ा। सत्ता के लालच में कुछ लोगों ने पार्टी के साथ धोखा किया। ब्रांद्रा स्थित अपने ‘मातोश्री’ बंगले में उद्धव ठाकरे ने मीडिया से कहा, ‘‘उन्होंने (शिंदे गुट के विधायकों ने) मेरी पार्टी और मेरे पिता की विरासत को धोखा दिया। तब मुख्यमंत्री पद से मेरा इस्तीफा देना भले ही कानूनी रूप से गलत हो सकता है, लेकिन मैंने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया।” उन्होंने कहा, ‘‘मैं पीठ में छुरा मारने वालों के साथ सरकार कैसे चला सकता था।” ठाकरे ने कहा कि अगर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस में नैतिकता है तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।

बता दें कि पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि चूंकि तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विधानसभा सदन में शक्ति परीक्षण का सामना किए बगैर खुद ही इस्तीफा दे दिया था, इस वजह से उनके नेतृत्व वाली महाविकास आघाड़ी सरकार को अब वह बहाल नहीं कर सकती।

शीर्ष अदालत ने 16 मार्च को इस मामले में आठ दिनों तक चली सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। शिवसेना में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद  ठाकरे ने अपने पद से सदन में शक्ति परीक्षण से पहले ही इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद शिंदे ने भाजपा के समर्थन से राज्य में सरकार बनाई थी।

 

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