कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिए जाने के बाद विपक्ष सड़क से संसद तक सरकार को घेर रहा है। विपक्ष ने अब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के खिलाफ भी मोर्चा खोलने की तैयारी कर ली है। लोकसभा अध्यक्ष पर आवाज दबाने का आरोप लगाते हुए विपक्ष उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने की तैयारी कर रहा है। यह प्रस्ताव आगामी सोमवार को पेश किया जा सकता है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, विपक्षी दल लोकसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने पर विचार कर रहे हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि सदन में उनकी आवाज दबाई जा रही है। राहुल गांधी को नियमों के तहत अपनी बात रखने का मौका मांगने के बावजूद उन्हें मौका नहीं दिया गया। 24 घंटे के अंदर राहुल गांधी की सदस्यता रद्द कर दी गई। इन सब विषयों को लेकर विपक्षी दल सदन में अविश्ववास प्रस्ताव पेश कर सकते हैं।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई। पार्टी इस संबंध में दूसरे विपक्षी दलों के साथ चर्चा कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, कई विपक्षी दल इस मुद्दे पर कांग्रेस के साथ हैं। दूसरे दलों से भी इस विषय पर बातचीत चल रही है। लोकसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास पेश करते हुए पार्टी कम से कम 100 सांसदों के हस्ताक्षर कराना चाहती है। ताकि, प्रस्ताव में कोई तकनीकी कमी नहीं रह जाए।
कांग्रेस रणनीतिकार मानते हैं कि अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए सदन का सुचारू रूप से चलना बेहद आवश्यक है। ऐसे में कांग्रेस को डर है कि सत्तापक्ष किसी न किसी तरह किसी अन्य दल से हंगामा कराकर सदन को स्थगित कराने का प्रयास कर सकता है। ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि लोकसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश हो जाएगा। इस सबके बावजूद विपक्षी दल सदन में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का प्रयास करेगी।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि लोकतंत्र को बचाने के मुद्दे पर सभी 19 विपक्षी पार्टियां एकजुट हैं। दरअसल, सोमवार शाम को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के घर पर हुई बैठक से शिवसेना दूर रही थी। इस बैठक में 18 राजनीतिक दल शामिल हुए थे। पर, संजय राउत की राहुल गांधी से मुलाकात के बाद नाराजगी दूर हो गई है। जयराम ने कहा कि हम अडानी मुद्दे पर जेपीसी के गठन की मांग जारी रखेंगे।