राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन राव भागवत सिद्ध पीठ हथियाराम मठ पर अपने लगभग 24 घंटे के प्रवास के बाद गुरुवार सुबह मिर्जापुर के लिए प्रस्थान किए। यहां से रवाना होने से पहले उन्होंने कहा कि संतों की पावन भूमि पर आने के बाद वह खुद को ऊर्जा से परिपूर्ण महसूस करते हैं।
डॉ भागवत बुधवार सुबह 11 बजे सिद्धपीठ पहुंचे थे। उन्होंने सिद्धपीठ की आराध्या वृद्धअंबिका देवी (बुढ़िया माई) का दर्शन पूजन किया। उसके बाद महामंडलेश्वर स्वामी भवानीनंदन यति द्वारा किए जा रहे अपने 27वें चातुर्मास महायज्ञ में द्वादश ज्योतिर्लिंग रुद्राभिषेक पूजन करने के बाद एक गोष्ठी को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि पर्यावरण की उन्नति ही हमारी व हमारे समाज की उन्नति है। हरा भरा व पर्यावरण के अनुकूल क्षेत्र देखकर हमें वहां के लोगों व वातावरण का आभास हो जाता है। पर्यावरण के प्रति सबसे अधिक जिम्मेदारी हमारी बनती है। इसलिए पर्यावरण के उन्नयन का सदैव ख्याल रखना चाहिए।
सिद्धपीठ हथियाराम मठ पर अपने प्रवास के दूसरे दिन डॉ. भागवत सिद्धपीठ के विशाल वन क्षेत्र स्थित संत निवास पहुंचे, जहां उन्होंने नवग्रह पूजन और नवग्रह वाटिका की स्थापना किया। इस अवसर पर वैदिक विद्वानों ने नवग्रह के सभी वृक्षों का पूजन कराते हुए पौधरोपण कराया। सिद्धपीठ के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी भवानीनंदन यति द्वारा संत निवास के विशालकाय परिसर में नवग्रह वाटिका का पूजन व स्थापना के समय बताया गया कि आने वाले समय में नवग्रह वाटिका के साथ ही अन्य आयुर्वेदिक गुण युक्त पौधों का संरक्षण किया जाएगा।