सूबे की सरकार जनता को सुशासन का आश्वासन देते हुए अधिकारियों को आम जनता के साथ बेहतर व्यवहार करते हुए लोगों की हर समस्या को हल करने की हिदायत दे रही है लेकिन वहीं सरकारी कर्मचारी सरकारी दावों को ठेंगा दिखाते हुए मनमानी करने पर उतरे हुए हैं फिर चाहे इसमें किसी की जान ही क्यों न चली जाए। एक ऐसा ही मामला मेरठ में सामने आया है जहां स्वास्थ विभाग कर्मियों ने मानवीयता को तार तार कर डाला। स्वास्थ विभाग कर्मियों ने प्रसव के लिए पहुंची एक नाबालिग रेप पीड़िता को भर्ती करने से इनकार कर दिया और नाबालिग रेप पीड़िता ने अस्पताल की बेंच पर मृत बच्चे को जन्म दे डाला।

दरअसल, मेरठ में नाबालिग रेप पीड़िता के साथ अस्पताल में मेडिकल स्टाफ ने अमानवीय करतूत को अंजाम देते हुए इंसानियत को तार तार कर डाला। गंभीर हालत में प्रसव के लिए पहुंची नाबालिग रेप पीड़िता को पुलिस केस बताकर भर्ती करने से मेडिकल स्टॉफ ने इनकार कर दिया। पीड़िता के परिजन सरकारी अस्पताल में मौजूद मेडिकल स्टॉफ के सामने रोते बिलघते रहे लेकिन मेडिकल स्टॉफ का दिल नहीं पसीझा और उन्होंने प्रसव पीड़ा से तड़प रही रेप पीड़िता को भर्ती करने से साफ इंकार कर दिया।  जिसके बाद रेप पीड़िता ने अस्पताल की बेंच पर ही मृत बच्चे को जन्म दे डाला।

इंसानियत को तार तार कर देने वाला ये मामला मेरठ के थाना सरधना क्षेत्र का है। जहां सरधना सीएचसी पर 13 साल की मासूम रेप पीड़िता को प्रसव के लिए भर्ती करने के लिए परिजन पहुंचे। लेकिन सरकारी सीएचसी पर तैनात मेडिकल स्टॉफ ने पुलिस केस होने का हवाला देकर परिजनों को टरका दिया। पीड़िता की हालत बेहद खराब थी और पीड़िता के परिजन बदहवास हालात में रोते बिलघते हुए मेडिकल स्टॉफ से पीड़िता को भर्ती करने की गुहार लगाते रहे लेकिन मेडिकल स्टॉफ ने पीड़िता को भर्ती नहीं किया। जिसके बाद पीड़िता की हालत बिगड़ती देख परिजनों ने उसे अस्पताल की बैंच पर ही लिटा दिया और पीड़िता ने अस्पताल की बेंच पर ही मृत बच्चे को जन्म दे डाला। इसके बाद स्वास्थ्य महकमा में हडकंप मच गया। स्वास्थ्य कर्मियों की गलती पर पर्दा डालने के लिए महकमें ने पुरजोर कोशिश की। लेकिन बात नहीं छिपी।

गौरतलब है कि सरधना थानाक्षेत्र की रहने वाली 13 साल की मासूम के माता-पिता पेशे से मजदूर हैं। मजदूरी के लिए अपने घर पर बच्चों को छोड़कर कुछ महीने से किठौर में रह रहे थे। इसी दौरान आरोपी लगातार पीड़िता को अपनी हवस का शिकार बना रहा था। परिजनों के घर वापस आने के बाद पता चला कि 13 साल की मासूम की हालत खराब है। परिजनों ने पीड़िता का डॉक्टर से चेकअप कराया तो पता चला कि पीड़िता 6 माह की गर्भवती है। जिसके बाद परिजनों के होश फाख्ता हो गए। इसी बीच पीड़ित को प्रसव पीड़ा होने लगी और पीड़िता के परिजन उसे गंभीर हालत में प्रसव के लिए सीएचसी में भर्ती कराने के लिए ले गए लेकिन मेडिकल स्टाफ ने पुलिस केस का हवाला देकर पीड़िता को भर्ती करने से इनकार कर दिया। देखते ही देखते पीड़िता की हालत बिगड़ने लगी और पीड़िता ने अस्पताल की बेंच पर ही मृत बच्चों को जन्म दे डाला। इस घटना के बाद पूरे स्वास्थ्य महकमें में हड़कंप मच गया।

वहीं आनन-फानन में पीड़िता के परिजनों की तहरीर पर आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया और आरोपी को गिरफ्तार भी कर लिया गया है। साथ ही पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पीड़िता द्वारा जन्में मृत बच्चे के शव को कब्जे में कर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। साथ ही पुलिस अधिकारियों का यह भी कहना है मृत बच्चे, पीड़िता और गिरफ्तार किए गए आरोपी के डीएनए का मिलान भी कराया जाएगा। वहीं घटना के सामने आने के बाद प्रशासनिक अमले में हड़कंप मचा हुआ और जिलाधिकारी मेरठ ने मामले में जांच कमेटी बनाकर 48 घंटे में जांच सौपने के आदेश दिए हैं।

 

 

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