भारत में अब लड़ाकू विमानों के इंजन तैयार होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमरीका यात्रा के बीच एक बड़े करार की खबर सामने आई है। जिसके अनुसार भारत में लड़ाकू विमानों के इंजन बनाने के लिए अमरीकी कंपनी जीई एरोस्पेस ने भारत की कंपनी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ करार किया है। जीई एरोस्पेस ने गुरुवार (22 जून) को एचएएल के साथ भारतीय वायु सेना के हल्के लड़ाकू विमान (LCA)-एमके-2 तेजस के जेट इंजन के संयुक्त उत्पादन के लिए समझौता किया। इस समझौते को मील का पत्थर माना जा रहा है। जीई के अध्यक्ष और सीईओ एच. लॉरेंस कल्प जूनियर ने कहा कि यह भारत और एचएएल के साथ हमारी दीर्घकालिक साझेदारी से संभव हुआ ऐतिहासिक समझौता है। इस डील से दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
इस डील के बारे में अमरीकी कंपनी ने अपने बयान में कहा, ‘‘इस समझौते में जीई एरोस्पेस के एफ414 इंजन के भारत में संयुक्त उत्पादन की संभावना शामिल है और जीई एरोस्पेस अमरीकी सरकार के साथ इस उद्देश्य के लिए जरूरी निर्यात प्राधिकार प्राप्त करने के लिए काम करना जारी रखेगा।” कंपनी ने एचएएल के साथ समझौता ज्ञापन को भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण तत्व बताया है। जीई एरोस्पेस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और जीई के अध्यक्ष एच लॉरेंस कल्प जूनियर ने कहा, ”यह ऐतिहासिक समझौता भारत और एचएएल के साथ हमारे दीर्घकालिक गठजोड़ के कारण संभव हुआ है।” बताते चले कि जीई एरोस्पेस में भारत में बीते चार दशक से काम कर रहा है। हालांकि अभी तक इस अमरीकी कंपनी का काम एवियोनिक्स, इंजीनियरिंग, विनिर्माण और स्थानीय सोर्सिंग के क्षेत्र तक सीमित था। इस डील से भारत में जेट इंजन बनने लगेगा। ऐसे में फाइटर जेट्स के मामले में भारत की निर्भरता दूसरे देशों पर कम होगी। साथ ही देसी तकनीक के जरिए एयर पावर बढ़ाने की दिशा में देश आगे बढ़ेगा। एक्सपर्ट का कहना है कि चीन का मुकाबला करने के लिए भारत को अपने लड़ाकू विमानों को तेजी से बढ़ाने की जरूरत है। ऐसे में इस डील से भारतीय डिफेंस सेक्टर को मजबूती मिलेगी। इस डील से पहले व्हाइट हाउस ने कहा था कि पीएम मोदी और अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच यहां ऐतिहासिक शिखर बैठक में जेट इंजन के सह-उत्पादन सहित कुछ बड़े रक्षा सौदे होंगे। बाइडेन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दोनों नेताओं के बीच बैठक से कुछ घंटे पहले कहा, ‘‘अमेरिका-भारत रक्षा साझेदारी कई वर्षों से मजबूत हो रही है, लेकिन हम अब रक्षा साझेदारी की अगली पीढ़ी में प्रवेश कर गए हैं।’’