महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ गठबंधन यानी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी के बीच रिश्ते तल्ख होने के संकेत मिल रहे हैं। हालांकि, दोनों ही दलों ने आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं है, लेकिन महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा के 240 सीटों पर चुनाव लड़ने के ऐलान ने शिवसेना को चिंता में डाल दिया है। इसे लेकर विपक्ष की तरफ से भी बयानबाजी शुरू हो गई है।
बीते सप्ताह भाजपा के महाराष्ट्र प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि पार्टी विधानसभा चुनाव में 240 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इससे संकेत मिले कि शिवसेना के खाते में महज 48 सीटें ही आएंगी। बावनकुले ने कहा था, ‘हम 248-250 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। शिंदे समूह के पास 48-50 से ज्यादा विधायक नहीं है, जो चुनाव लड़ेंगे।’
इसपर शिवसेना विधायक संजय शिरसत ने कहा, ‘क्या बकवास है, हम क्या बेवकूफ हैं जो इतनी सी सीटों पर मान जाएंगे?’ विधायक संजय गायकवाड़ ने कहा, ‘शिवसेना 130 से 135 सीटों से कम में तैयार नहीं होगी। भाजपा को यह याद रखना चाहिए कि उनका गठबंधन बाल ठाकरे की गठित असली शिवसेना से है।’
हालांकि, सियासी बवाल उठता देख दोनों ही दल डैमेज कंट्रोल करते दिखे। एक ओर बावनकुले ने सभाई दी कि भाजपा और शिवसेना में अब तक सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय नहीं हुआ है। वहीं, शिवसेना ने भी इस बात को दोहराया और प्रवक्ता नरेश म्हास्के ने कहा कि आपस में कोई भी झगड़ा नहीं है।
रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ‘भाजपा ने शिवसेना के समर्थन का वादा किया है, लेकिन वह संगठन स्तर पर अपना विस्तार नहीं रोक सकते। अपने कैडर को चुनावी मोड में बनाए रखने के लिए पार्टी को एक बड़ा संदेश देना था कि अपने दम पर बहुमत के लिए तैयारी कर लें।’
एक भाजपा नेता ने कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि केंद्रीय नेतृत्व से मंजूरी मिलने के बाद शिंदे और फडणवीस सीट बंटवारा कर लेंगे। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा के एक सूत्र ने बताया, ‘अपने लिए 150 सीटों का लक्ष्य रखने वाली भाजपा किसी हाल में 185 से लेकर 190 सीटों तक में नहीं मानेगी। शिवसेना को 98-103 सीटों पर मानना होगा।’
खास बात है कि अगर आंकड़े यही रहे, तो 2019 के मुकाबले शिवसेना उम्मीदवारों की सीट संख्या घट जाएगी। उस दौरान पार्टी ने 124 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 56 पर जीत दर्ज की थी। वहीं, 164 पर उतरी भाजपा के खाते में 105 सीटें आई थी।
रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा का मानना है कि बावनकुले के बयान की वजह शिवसेना का सीमित बेस होना है। पार्टी का जनाधार ठाणे, कोंकण, मराठवाड़ा के कुछ हिस्सों और पूर्वी विदर्भ तक है। जबकि, भाजपा संगठन स्तर पर मजबूत है। महाराष्ट्र क 90 हजार बूथ में हर एक पर 10 से 25 कार्यकर्ता मौजूद हैं। इसके अलावा पार्टी विपक्ष को कमजोर करने का भी दावा कर रही है।