झारखंड हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके रिश्तेदारों के नाम पर माइनिंग लीज अलॉट करने के मामले की जांच की मांग को लेकर दायर पीआईएल खारिज कर दी है।
चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने आरटीआई कार्यकर्ता और एडवोकेट सुनील कुमार महतो की ओर से दायर की इस पीआईएल पर पिछले महीने के 29 नवंबर को सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
बुधवार को इस मामले में आया कोर्ट का फैसला सीएम सोरेन के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है।
सनद रहे कि इस याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन एवं हेमंत सोरेन के अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने दलील दी थी कि इसी तरह के समान मामले में शिव शंकर शर्मा एवं अन्य की जनहित याचिका में सीएम हेमंत सोरेन एवं अन्य के खिलाफ झारखंड हाईकोर्ट के खंडपीठ द्वारा पारित आदेश को पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया था। इस याचिका में पुनः उसी बात को उठाया जाना उचित नहीं है। इसे निरस्त कर दिया जाना चाहिए।
इस पर प्रार्थी सुनील कुमार महतो की ओर से दलील पेश करते हुए अधिवक्ता राजीव कुमार और विशाल कुमार ने कहा था कि यह केस शिव शंकर शर्मा की निरस्त हुई याचिका से अलग है। शिव शंकर शर्मा की याचिका में केवल सीएम के नाम पर खनन लीज आवंटन का विषय था, जबकि इस याचिका में सीएम की पत्नी और साली को इंडस्ट्रियल एरिया में जमीन देने से जुड़े विषय उठाए गए हैं।
बता दें कि सुनील महतो की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खान विभाग का मंत्री रहते हुए संवैधानिक पद का दुरुपयोग किया है। उन्होंने स्वयं के लिए रांची के अनगड़ा में माइनिंग लीज तो आवंटित कराया ही, पत्नी कल्पना मुर्मू और साली सरला मुर्मू की फर्म को भी लीज आवंटित कराया। उन्होंने इस मामले में संबंधित प्राधिकार से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके रिश्तेदारों की जांच कर कार्रवाई करने का भी अनुरोध किया था लेकिन किसी संबंधित प्राधिकार ने कार्रवाई नहीं की।