भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने आज (सोमवार) को टोक्यो में क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक को संबोधित किया। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के अपने समकक्षों और गणमान्य व्यक्तियों की मौजूदगी में इसकी शुरुआत की।
इस संबोधन के केंद्र में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में आर्थिक, सुरक्षा और मानवीय मुद्दों पर आपसी समझ विकसित करने पर जोर रहा।
विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान एस जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा, यहां टोक्यो में दोबारा मिलना बहुत अच्छा है। हमारी आखिरी क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक 10 महीने पहले न्यूयॉर्क में हुई थी। उस अवधि में, हम द्विपक्षीय रूप से या अन्य कार्यक्रमों के मौके पर एक-दूसरे से मिले हैं। हालांकि, हमारे सिस्टम, हमारे शेरपाओं के नेतृत्व में, लगातार बातचीत कर रहे हैं, इसलिए आज बात करने, सहमत होने और आगे की योजना बनाने के लिए बहुत कुछ है।
एस जयशंकर ने कहा, “हमारे लिए वैश्विक आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने के साथ-साथ जोखिम को कम करना भी एक बड़ी चुनौती है। हमारी आपूर्ति शृंखलाएं लचीलेपन के लिए विशेष तौर पर केंद्रित हैं। जैसे हमने भरोसेमंद और पारदर्शी डिजिटल साझेदारी पर जोर दिया, उससे प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भी असाधारण प्रचार-प्रसार हुआ। जिस तरह से हम रहते हैं, सोचते हैं और कार्य करते हैं, उसी तरह की संभावनाएं हमारे पास आज मौजूद हैं या यूं कहें कि हम पुन:वैश्वीकरण के बीच खड़े हैं।
उन्होंने अपने संबोधन का समापन एक स्पष्ट संदेश से दिया, जिसमें क्वाड के अटल रहने, मजबूती से काम करने और आगे बढ़ते रहने का भाव था। “राजनीतिक लोकतंत्रों, बहुलवादी समाजों और बाज़ार की अर्थव्यवस्थाओं के रूप में हमारे पास महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारियां भी हैं। हमारे पास शासन आधारित व्यवस्था को कायम रखने का बड़ा सवाल है। यह केवल एक ऐसा सहयोग है जो यह सुनिश्चित कर सकता है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र मुक्त, खुला, स्थिर, सुरक्षित और समृद्ध बना रहे। वैश्विक सुरक्षा पर हम सभी ने जो प्रतिबद्धता जताई है, उसकी प्रतिध्वनि इस सीमा से भी आगे तक है, इसलिए यह आवश्यक है कि राजनीतिक समझ को मजबूत किया जाए, आर्थिक साझेदारी को बढ़ाया जाए, प्रौद्योगिकी सहयोग को बढ़ाया जाए। हमारे लोगों के बीच सहजता को बढ़ाया जाए। हमारी बैठक से एक स्पष्ट संदेश जाना चाहिए कि क्वाड यहां है, काम कर रहा है और आगे बढ़ रहा है।