मदुरै के अलंगनल्लूर में जल्लीकट्टू की शुरुआत गुरुवार को धूमधाम से हुई। डिप्टी सीएम उदयनिधि स्टालिन ने दौड़ को हरी झंडी दिखाई। इस कार्यक्रम को और रोमांचक बनाने के लिए ढोल वादक पारंपरिक तमिल संगीत बजा रहे हैं, जिसमें “पराई” ढोल की धुन भी शामिल है।

डिप्टी सीएम उदयनिधि स्टालिन ने दौड़ को हरी झंडी दिखाई। इस आयोजन में बड़ी संख्या में दर्शक पहुंचने की उम्मीद है, जिसके चलते पुलिस सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। कार्यक्रम की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं।

कार्यक्रम में तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन और थेनी के सांसद थंगा तमिलसेल्वन सहित कई प्रमुख व्यक्ति भी भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक शपथ ग्रहण समारोह से हुई, जिसमें मंत्री मूर्ति और मदुरै जिला कलेक्टर संगीता ने भाग लिया। जल्लीकट्टू समिति के सदस्य, सांडों को काबू करने वाले और स्थानीय लोग भी इसमें शामिल हुए।

जल्लीकट्टू हर साल पारंपरिक शपथ ग्रहण के बाद शुरू होता है और यह तमिलनाडु की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

जल्लीकट्टू तमिलनाडु का एक प्राचीन खेल है, जिसमें सांडों को काबू करने की चुनौती होती है। इस खेल की शुरुआत तीन सांडों को छोड़ने से होती है। ये सांड गांव के सबसे बुजुर्ग होते हैं और इन्हें कोई नहीं पकड़ता, क्योंकि इन्हें सम्मानित माना जाता है। इन तीनों सांडों के जाने के बाद मुख्य खेल शुरू होता है, जिसमें अन्य सांडों के सींगों में सिक्कों की थैली बांधकर उन्हें भीड़ में छोड़ा जाता है। इसके बाद जो व्यक्ति किसी सांड के सींग से सिक्कों की थैली को निर्धारित समय के भीतर निकाल लेता है, उसे नियमों के मुताबिक विजयी माना जाता है।

जल्लीकट्टू तमिलनाडु में पोंगल के त्योहार के दौरान मनाया जाता है। यह खेल लगभग 2500 साल पहले शुरू हुआ था।

इसे तमिल संस्कृति में गर्व का प्रतीक माना जाता है।

वहीं, अगर इसके शाब्दिक अर्थ की बात करें, तो “जल्ली” का अर्थ है सिक्के और “कट्टू” का मतलब है सांड के सिंग।

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