गुजरात पुलिस ने बीती रात एक व्यापक अभियान के तहत राज्य की 17 जेलों में एक साथ छापेमारी की और कई मोबाइल फोन, “घातक” वस्तुएं व मादक पदार्थ बरामद किए। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। इस अभियान में 1,700 पुलिसकर्मी शामिल थे। इनमें से कई ने जेल गतिविधियों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए शरीर पर कैमरे लगा रखे थे। छापेमारी का मकसद यह पता लगाना था कि जेलों में कोई अवैध गतिविधि तो नहीं हो रही।
साथ ही इसका उद्देश्य यह जानना था कि कैदियों को कानून के तहत सुविधाएं मिल रही हैं या नहीं। अधिकारियों ने बताया कि गांधीनगर पुलिस भवन में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) कार्यालय में गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में छापेमारी का फैसला किया गया था। छापेमारी अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, राजकोट और अन्य शहरों की केंद्रीय जेलों के साथ-साथ उप-जेलों में की गई।
राज्य सरकार ने एक बयान में कहा कि मंत्री संघवी और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने राज्य की राजधानी गांधीनगर में कमान एवं नियंत्रण केंद्र से अभियान की लाइव निगरानी की जबकि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने “सीएम डैशबोर्ड” से अभियान का निरीक्षण किया। शरीर पर कैमरा लगाए पुलिस कर्मी राज्य के कमान एवं नियंत्रण केंद्र ‘त्रिनेत्र’ को ताजा तस्वीरें भेज रहे थे। बयान में कहा गया है, “राज्य भर की जेलों में व्यापक अभियान के दौरान 16 मोबाइल फोन, 10 इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं, 39 घातक वस्तुएं, तीन मादक पदार्थ और 519 तंबाकू उत्पाद बरामद किए गए।”
इससे पहले शुक्रवार रात गुजरात के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) विकास सहाय ने पत्रकारों को बताया कि 17 जिले में किए गए इस अभियान में अधिकारियों समेत करीब 1,700 पुलिसकर्मी शामिल हैं। सहाय ने कहा, “इन छापों का मकसद यह पता लगाना है कि जेलों से कोई अवैध गतिविधि तो संचालित नहीं की जा रही है, साथ ही इसका उद्देश्य उन्हें रोकना भी है। इस अभियान में खोजी कुत्तों को भी शामिल किया गया है।”