चिन्यालीसौड़ के  बिष्ट, हातड़ दशगी पट्टी क में ओलावृष्टि से फसलें हुईं बर्बाद

उत्तरकाशी , 4 मई (हि.स.)। रवांई घाटी के बाद गंगा घाटी में भी ओलावृष्टि से किसानों और बागवानों की पूरी तरह से कमर तोड़ दी है। इससे काश्तकारों की साल भर की मेहनत पर पानी फिर गया है। शनिवार को रवांई घाटी में ओलावृष्टि से फसलों को नुक्सान पहुंचाया वहीं रविवार को चिन्यालीसौड़ में दोपहर बाद ओलावृष्टि से फसलों और बागवानी को भारी नुक्सान हुआ है।

बता दें कि ग्राम पंचायत धारकोट में शियाराम सिहं राणा ने एक वर्ष पूर्व ” ऐपल मिशन के तहत लगाए सेब बगीचे मे लगे पौधों को ओले गिरने से बर्बाद हो गये है। चिन्यालीसौड़ ब्लॉक के बिष्ट, हातड़, दशगी पट्टी के बनचौरा क्षेत्र सहित धारकोट, डांडागांव, खदाड़ा, बनगांव, बनाड़ी, जेष्टवाड़ी, रिखाणगांव, मंगाणगांव, सिंगाणगांव और उडखोला, ग्वालथा, समेत कई गांवों में ओलों की मोटी परत जम गई।

इस ओलावृष्टि से खेतों में खड़ी गेहूं की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई। किसान, जो कुछ ही दिनों में फसल काटने की तैयारी में थे, अपनी मेहनत को यूं बर्बाद होते देख गहरे सदमे में हैं। गेहूं ही नहीं, बल्कि नगदी फसले टमाटर एवं बागवानी आड़ू, पुलम, सेब और नाशपाती की फसलों को भी भारी नुकसान पहुंचा है। सेब के पेड़ों पर लगे छोटे फल ओलों की मार से झड़ गए हैं, जिससे बागवानी करने वालों को भी जबरदस्त क्षति हुई है।

किसानों ने बताया कि उन्होंने अपनी फसलों को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास किए, लेकिन इतनी भीषण ओलावृष्टि के आगे वे बेबस रह गए। उनकी आंखों के सामने सालभर की मेहनत कुछ ही पलों में तबाह हो गई।

क्षेत्र के किसान जयेंद्र सिंह रावत, जय सिंह बिष्ट, बीरेंद्र रावत, शियाराम सिंह राणा, बलबीर सिंह रावत, राजेंद्र पडियार, जगबीर पडियार, रविंद्र बिष्ट सहित तमाम किसानों और बागवानों ने सरकार से तत्काल राहत और उचित मुआवजे की मांग की है। उन्होंने कहा कि नुकसान की भरपाई के बिना उनके लिए अपने परिवार का भरण-पोषण करना कठिन हो जाएगा।

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