बागपत जिले के सरूरपुर कलां गांव की एक दिलचस्प कहानी सुनने को मिली है, जहां की युवा पीढ़ी ने पुलिस की वर्दी पहनने का सपना पूरा किया है। इस गांव की आबादी करीब 20 हजार है, जिसमें से एक हजार से ज्यादा लोग सेना, अर्द्धसैनिक बल और पुलिस में सेवा दे रहे हैं। यही कारण है कि यहां के युवा फौज और पुलिस में भर्ती के लिए अत्यधिक उत्साहित रहते हैं। हाल ही में यूपी सिपाही भर्ती परीक्षा में इस गांव से 36 युवाओं का चयन हुआ, जो एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

गांव के सामाजिक और आर्थिक हालात की बात करें तो अधिकांश परिवार किसान और मजदूर हैं। यहां कोचिंग सेंटर की कमी है, जिसके चलते युवाओं ने अपनी मेहनत और लगन से सफलता प्राप्त की। इनमें से किसी ने भी कोचिंग का सहारा नहीं लिया, बल्कि गांव की निजी लाइब्रेरी और कॉलेज के मैदान में खुद से तैयारी की। ये युवा आपस में मिलकर ग्रुप स्टडी करते रहे, जिससे उनकी सहयोगी भावना भी मजबूत हुई। दौड़ने का अभ्यास करने के लिए गांव का इंटर कॉलेज का मैदान ही एकमात्र स्थान था, जहां घंटों मेहनत करने के बावजूद सुविधाओं की कमी थी।

ग्रामीणों का मानना है कि इस गांव का एक बड़ा लाभ यह है कि यहां के अधिकतर युवा पहले से ही आर्म्ड फोर्सेज में हैं। उनकी उपलब्धियां बाकी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनती हैं। सुभाष नैन का कहना है कि गांव के लड़के पहले फौज और फिर पुलिस में भर्ती होना चाहते हैं। हाल ही में लगभग 150 युवाओं ने यूपी पुलिस का फॉर्म भरा, जिसमें से 36 सिपाही बने हैं। इस प्रकार, संसाधनों की कमी के बावजूद, ये युवा भारी हौसले के साथ आगे बढ़े हैं।

हमने कुछ सफल छात्रों से बातचीत की, जिनमें अर्जुन नैन शामिल हैं। अर्जुन ने अपने गांव के एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने के साथ-साथ यूपी पुलिस के लिए तैयारी की। उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं थी, लेकिन किसी भी प्रकार की मुश्किलों को मात देकर उन्होंने नौकरी पाने का सपना पूरा किया। शुभम और कोमल जैसे अन्य छात्रों ने भी अपनी मेहनत से सफलता हासिल की, जिसमें उन्होंने इंटरनेट और यूट्यूब से ज्ञान प्राप्त किया।

इस गांव की खासियत यह है कि यहां की लाइब्रेरी, जिसे सरस्वती लाइब्रेरी कहा जाता है, कई छात्रों के लिए एक शांत अध्ययन स्थल है। यहां पढ़ाई करने वालों की संख्या 50 से अधिक है और इनमें से लगभग 15 छात्रों ने पुलिस परीक्षा पास की है। इस गांव का यह उत्साह और एकजुटता न केवल उनके सामर्थ्य की कहानी है, बल्कि यह संकल्पबद्धता का भी प्रतीक है, जिससे अन्य युवा भी प्रेरित हो रहे हैं।

इस सफलता की कहानी बागपत के लिए एक गर्व की बात है और यह दर्शाती है कि चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों, अगर लक्ष्य मजबूत हो तो सफलता अवश्य मिलती है।

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