उत्तर प्रदेश के 18 मंडलायुक्तों और 30 आईजी-डीआईजी अधिकारियों के बीच संपत्ति की भारी असमानता की स्थिति सामने आई है। मिर्जापुर के मंडलायुक्त बालकृष्ण त्रिपाठी, जिनके पास 13.05 करोड़ रुपये की संपत्ति है, राज्य के सबसे अमीर मंडलायुक्त माने जाते हैं। वहीं लखनऊ की मंडलायुक्त रोशन जैकब ऐसी एकमात्र अधिकारी हैं जिनके नाम पर कोई संपत्ति नहीं है। वहीं, पुलिस अधिकारियों में आगरा कमिश्नरेट के एडिशनल पुलिस कमिश्नर संजीव त्यागी की 36.66 करोड़ रुपये की संपत्तियों के साथ रिकॉर्ड तोड़ संपत्ति है। देखा जाए तो कई IAS-IPS अधिकारी ऐसे हैं, जिनके पास एक इंच जमीन भी नहीं है।

राज्य के सभी अधिकारीयों ने केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण मंत्रालय (DOPT) को रिपोर्ट भेजकर बताया है कि उनके पास कौन-कौन सी प्रॉपर्टी है और उसकी वास्तविक कीमत क्या है। दैनिक भास्कर ने विश्लेषण कर यूपी के 18 मंडलायुक्तों और 30 आईजी-डीआईजी की संपत्तियों की डिटेल रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट से पता चला है कि पिछले 5 वर्षों में राज्य के दो मंडलायुक्तों की संपत्तियों में कमी आई है। गोरखपुर के मंडलायुक्त अनिल ढींगरा और मेरठ के हृषिकेश भास्कर यशोद की संपत्तियों में ये कमी आई है।

अनिल ढींगरा की 2020 में लखनऊ और हिमाचल प्रदेश में 3 संपत्तियां थी, जबकि अब सिर्फ लखनऊ में एक फ्लैट बचा है। इसी प्रकार, मेरठ मंडलायुक्त के पास 2020 में पुणे, लखनऊ और नासिक में संपत्तियां थीं, लेकिन अब सिर्फ पुणे की संपत्ति रह गई है।

इसी बीच, लखनऊ की मंडलायुक्त रोशन जैकब के अलावा अन्य चार आईजी भी हैं जिनके नाम कोई संपत्ति नहीं है। इनमें अयोध्या रेंज के आईजी प्रवीण कुमार, चित्रकूट के डीआईजी राजेश यस, प्रयागराज के एडिशनल सीपी अजय पाल और नोएडा के एडिशनल सीपी अजय कुमार शामिल हैं। वहीं, देवीपाटन के मंडलायुक्त शशिभूषण लाल सुशील की संपत्तियों के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र में, अलीगढ़ की मंडलायुक्त संगीता सिंह की तीन संपत्तियों की मौजूदा कीमत 1.60 करोड़ रुपये है, जबकि आगरा के शैलेंद्र कुमार की संपत्तियों की कुल कीमत 1.23 करोड़ रुपये है। वहीं, मुरादाबाद के डीआईजी मुनिराज जी सबसे अमीर पुलिस अधिकारी हैं, जिनकी संपत्तियों की कीमत 3.84 करोड़ रुपये है।

कानपुर कमिश्नरेट में भी संपत्तियों का विश्लेषण किया गया। एडिशनल सीपी विनोद कुमार सिंह की 5 संपत्तियों की मौजूदा कीमत 2.27 करोड़ रुपये है, जबकि आईजी दीपक कुमार की दो संपत्तियों की कीमत 1.80 करोड़ रुपये है। उधर, वाराणसी कमिश्नरेट में एसीपी शिवा सिम्पी चनप्पा की संपत्ति में 9 एकड़ कृषि भूमि शामिल है, किंतु उन्होंने उसकी मूल्यांकन नहीं की है।

इन आंकड़ों से पता चलता है कि यूपी के अधिकारियों की संपत्तियों में व्यापक विविधता है, जिससे राज्य में प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल उठते हैं। जहां कुछ अधिकारियों की संपत्तियों में भारी बढ़ोतरी हुई है, वहीं कुछ अधिकारी ऐसे भी हैं जिनकी संपत्ति में कमी आई है। यह रिपोर्ट उन पर नजर रखने का एक महत्वपूर्ण साधन बन सकती है और भविष्य में प्रशासनिक सुधारों की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

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