उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की डिजिटल मीडिया नीति को मंजूरी दे दी है। सरकार ने पूरी नीति का व्यापक स्वरूप बुधवार को जारी किया। नीति के तहत असामाजिक, अपमानजनक पोस्ट के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से लेकर विज्ञापन बंद करने का प्रावधान है। इस नीति को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि यह भ्रष्टाचार का एक नया तरीका है।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट कर लिखा, “हम बांट रहे हैं दाने, गाओ हमारे गाने, जेल तुम्हारा घर है, अगर हुए बेगाने! यही है उप्र की भाजपा सरकार की नयी सोशल मीडिया पॉलिसी का सच। ये तरफदारी के लिए दी जाने वाली भाजपाई घूस है। भाजपा अपनी करतूतों पर पर्दा डालने के लिए सरकार के चरणों में पड़े रहने वाले, नये जमाने के चारण पैदा करना चाह रही है। भाजपा भ्रष्टाचार की थाली में झूठ परोस रही है। जनता के टैक्स के पैसे से आत्म प्रचार एक नये तरीके का भ्रष्टाचार है। निंदनीय!”
नई नीति सरकार की योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए व्यक्तियों/फर्मों को सूचीबद्ध करने और उन्हें विज्ञापन देने के संबंध में है। नीति के तहत निदेशक सूचना को किसी भी राष्ट्र विरोधी, असामाजिक, अपमानजनक पोस्ट के खिलाफ कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत कानूनी कार्रवाई करने के लिए अधिकृत किया गया है। इसमें प्रासंगिक कानून के तहत एफआईआर दर्ज करने उस पोस्ट को हटाने तथा पैनल को रद्द करने, विज्ञापन बंद करने से लेकर किसी भी तरह की कार्रवाई हो सकती है।
नीति में बताया गया है कि विज्ञापन दिए जाने और कार्रवाई के लिए विभागीय स्तर पर निदेशक, सूचना अधिकृत होंगे। कोई भी ऐसा कंटेन्ट, वीडियो, ट्वीट, पोस्ट, रील जो राष्ट्र विरोधी हो, समाज विरोधी हो, अभद्र हो या समाज के विभिन्न तबकों की भावनाओं को ठेस पहुंचाता हो, गलत तथ्यों पर आधारित हो, सरकार की योजनाओं को गलत ढंग से या गलत मंशा से प्रस्तुत करता हो, उसे पूर्ण रूप से हटाते हुए संबंधित पक्ष के विरुद्ध विधिक कार्रवाई की जा सकती है।
नीति में प्रावधान किया गया है कि फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स तथा यू-ट्यूब के खाताधारक जिनके फॉलोअर्स की संख्या एक से 10 लाख है, वह सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में पंजीकरण करवाकर विज्ञापन का लाभ ले सकते हैं। इन्हें चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है।

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