पाकिस्तान में सुलग रहा विभाजन का लावा

सुरेश हिंदुस्तानी

दुनिया में आतंकिस्तान के नाम से कुख्यात पाकिस्तान की धरती में इस समय विभाजन का लावा सुलग रहा है। यह अलग बात है कि भारत के जम्मू-कश्मीर के पहलगांव में हुए आतंकी हमले के बाद आखिरकार युद्ध विराम हो गया, इससे पाकिस्तान खुश हो सकता है पर इस दौरान उसकी सरजमीं में ऐसा बहुत कुछ घटा है कि बलूचिस्तान उसके हाथ से फिसलता नजर आ रहा है। इस युद्ध विराम के बाद फिर पुराने सवाल उठने लगे हैं कि क्या आतंक को संरक्षण देने वाले पाकिस्तान पर विश्वास किया जा सकता है। यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है, क्योंकि पूर्व में ऐसा कहने के बाद भी हर बार पाकिस्तान की ओर से कश्मीर में आतंकी घटनाएं की जाती रही हैं।

पहलगांव में आतंकवादियों ने निर्दोष पर्यटकों को मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद हुई भारत की जवाबी कार्रवाई से पाकिस्तान पस्त हो गया। पाकिस्तान सरकार की ओर से युद्ध विराम के बारे में कहा गया कि इस समय पाकिस्तान को बचाने की जरूरत है। इस कथन का स्पष्ट आशय यह भी निकाला जा सकता है कि अगर युद्ध जारी रहता तो पाकिस्तान नाम का देश इस धरती पर नहीं रहता। इसलिए पाकिस्तान ने अपने देश को बचाने के लिए ही यह रास्ता चुना। अमेरिका ने इस मामले में दखल देते हुए दोनों देशों के बीच सहमति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत की ओर से हमेशा यही कहा गया कि भारत आतंकवाद को समाप्त करने के लिए अपना अभियान चला रहा है। इस मामले में विश्व के अधिकांश देश भारत के साथ खड़े होते दिखाई दिए, वहीं पाकिस्तान अकेला हो गया।

इससे पाकिस्तान निराश हो गया। इसके अलावा एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी माना जा सकता है कि पाकिस्तान के ऊपर ग्रे सूची में आने का खतरा बढ़ता जा रहा था। एफएटीएफ की ओर से पाकिस्तान का ऐसी चेतावनी भी दे दी गई थी। अगर पाकिस्तान ग्रे सूची में आता तो उस पर कई प्रकार के प्रतिबंध लग सकते थे, जो पाकिस्तान के हित में नहीं होते। इस समय पाकिस्तान के अंदर ही अंदर जो लावा सुलग रहा है, उससे उसे बचने का कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है। भारत की ओर से की गई जवाबी कार्रवाई के दौरान ब्लूचिस्तान ने अपनी आजादी की लड़ाई को जारी रखते हुए पाकिस्तान की सेना को अपना निशाना बनाया।

यानी पाकिस्तान एक तरफ भारत से लड़ाई लड़ रहा था, वहीं दूसरी ओर उसे अपने ही देश में ब्लूचिस्तान की ओर से कड़ी चुनौती मिल रही थी। पाकिस्तान का आरोप है कि ब्लूचिस्तान को भारत भड़का रहा है। इसे सच नहीं माना जा सकता, क्योंकि ब्लूचिस्तान यह लड़ाई लम्बे समय से लड़ रहा है। अभी कुछ महीने पहले ही बीएलए के सैनिकों ने पाकिस्तान की ट्रेन को हाईजैक करके पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था। अब यही कहा जा सकता है कि ब्लूचिस्तान शायद ही पाकिस्तान में रहे। ऐसे में सवाल यह भी है कि क्या पाकिस्तान विभाजन के रास्ते पर चल रहा है? क्योंकि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भी ऐसी ही स्थिति दिखाई देती है। कई विश्लेषक यह दावा कररहे हैं कि पाकिस्तान चार टुकड़ों में विभाजित हो जाएगा।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अपने ही देश की जनता के निशाने पर हैं। इसके अलावा पाकिस्तान की सेना और सेना के साथ कदम मिलाने वाले आतंकी संगठन सरकार के युद्ध विराम वाले निर्णय से नाखुश हैं। इसका परिणाम क्या होगा, यह तो आने वाला समय ही बताने में समर्थ होगा। लेकिन यह पाकिस्तान की वास्तविकता है कि युद्ध जैसी स्थिति बनने के बाद सेना और आतंकियों ने सरकार के समक्ष गंभीर संकट पैदा किया है। इस बार जंग के हालात पैदा करने के लिए पाकिस्तान की जनता सरकार और सेना प्रमुख को ही पूरी तरह से दोषी मान रही है।

उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर ने पहलगांव की घटना से तीन दिन पूर्व कहा था कि हिन्दू और मुसलमान एक साथ कभी नहीं रह सकते। भारत का कश्मीर पाकिस्तान के गले की नस है। सेना प्रमुख का यह बयान मुसलमानों को भड़काने जैसा ही था। इसलिए पहलगांव की घटना को इसी बयान की प्रतिक्रिया स्वरूप माना जा रहा है। पहलगांव की आतंकी घटना के बाद भारत के ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए हैं। पाकिस्तान में भारत पर हमले के लिए तैयार बैठे आतंकी ठिकानों को जमींदोज कर दिया गया। ऑपरेशन सिंदूर ने इनको जिंदा ही जमीन पर दफन कर दिया। भारत की जवाबी कार्रवाई में 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए। यह पाकिस्तान के लिए जबरदस्त आघात रहा। वह और आतंकियों के आका खून के आंसू रोए। क्योंकि पाकिस्तान की सरकार और सेना इन्हीं आतंकियों के दम पर भारत को आंखें दिखा रही थी।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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