2027 में पुनः खिलेगा 12 वर्षों में एक बार खिलने वाला कंडाली फूल: शाह
नैनीताल, 10 मई (हि.स.)। कुमाऊं विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रो. फेसर निदेशालय एवं एलुमनी सेल द्वारा शनिवार को आयोजित विशेष व्याख्यान में पर्यावरणविद, छायाकार, विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रोफेसर पद्मश्री अनूप साह ने ‘हिमालय की जैव विविधता’ विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रकृति संरक्षण एवं प्रकृति-फोटोग्राफी के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम का आरंभ प्रो. ललित तिवारी के स्वागत वक्तव्य से हुआ। उन्होंने श्री साह का परिचय देते हुए बताया कि वे नैनीताल माउंटेनियरिंग क्लब के अध्यक्ष हैं तथा नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से प्रशिक्षित पर्वतारोही हैं। प्रो. एचसीएस बिष्ट ने भी सभी का स्वागत किया। इस दौरान श्री साह ने उत्तराखंड सहित सम्पूर्ण भारतीय हिमालय क्षेत्र की जैव विविधता पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने छात्रों को जैवविविधता का महत्व समझाया और नैनीताल की वनस्पतियों, जीव-जंतुओं तथा पक्षियों की प्रजातियों की जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि हिमालयी क्षेत्र में मोनाल, स्नो पार्टिज, ग्रेट येलोनैप थ्रश, मैगपाई, ब्रॉडबिल, हॉर्नबिल, बतखों एवं हंसों सहित अनेक पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं। साथ ही, उन्होंने औषधीय गुणों वाले मशरूम, कीड़ा जड़ी और पटवा पौधे के संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि कंडाली फूल जो हर 12 वर्ष में खिलता है, अब 2027 में पुनः खिलेगा। उत्तराखंड में फैली 320 किलोमीटर लंबी हिमालयी श्रृंखला में नंदा देवी, कामत सहित 200 से अधिक पर्वत स्थित हैं। यहां 102 स्तनधारी, 790 पक्षी, 124 मछलियां, 69 सरीसृप एवं लगभग 4000 पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें एक तिहाई औषधीय, 161 दुर्लभ और लगभग 30 प्रतिशत केवल इस क्षेत्र में पाई जाती हैं।
इस अवसर पर प्रो. लता पांडे, प्रो. अनिल बिष्ट, प्रो. नीलू लोधियाल, डॉ.पैनी जोशी, डॉ.मनोज आर्य, डॉ.कपिल खुलबे, डॉ.नवीन पांडे, डॉ.हेम जोशी, डॉ.प्रभा पंत, डॉ.हिमानी कार्की सहित दिशा, विशाल, मयंक, आनंद, गौरव, लता नीतवाल, वसुंधरा, पूजा गुप्ता तथा प्राणी विज्ञान एवं वनस्पति विज्ञान के विद्यार्थी उपस्थित रहे।