यूपी में नगर निकाय चुनावों में भी गठबंधन बनाए रखने की प्रतिबद्धता जताए जाने के बाद भी समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के बीच सीटों पर समझौता एक बड़ी चुनौती है। नगर निगम में महापौर और नगर पालिका परिषद व नगर पालिकाओं में चेयरमैन पद के लिए पश्चिमी यूपी के कई जिलों में दोनों दलों के दावेदार आमने-सामने हैं। ऐसे में किसी एक को प्रत्याशी बनाने में दोनों दलों को पसीना छूट रहा है। अब देखना होगा कि अखिलेश यादव और जयंत चौधरी कैसे समंजस्य बैठाते हैं?
दोनों लोकसभा चुनाव तक गठबंधन में किसी तरह की दरार नहीं आने देना चाहते हैं। फिर नगर निकाय भी मिलकर लड़ने में दोनों दलों को सियासी फायदा भी दिख रहा है। अब दिक्कत सिर्फ यह है कि दोनों दलों को राजनीतिक महत्वाकांक्षा वाले अपने नेताओं को काबू में रखना मुश्किल हो रहा है। चुनाव में दावेदारों के आमने-सामने आकर ताल ठोंकने की तैयारियों को देखते हुए रविवार को दोनों दलों ने साथ मिलकर चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर कर दी।
रालोद के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने रविवार को कहा कि रालोद व सपा गठबंधन के आधार पर नगर निकाय चुनाव लड़ने के लिए कटिबद्ध हैं। रालोद सभी जिलों से जिताऊ उम्मीदवारों के आवेदन पत्र एकत्र कर रहा है। राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह द्वारा नामित चुनाव समिति के साथ विचार-विमर्श कर के अंतिम निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सपा से सीटों के संबंध में वार्ता के लिए पूर्व विधायक राव वारिस खान के नेतृत्व में एक समिति का गठन राष्ट्रीय अध्यक्ष ने किया है। रालोद गठबंधन के साथ पूरे प्रदेश में नगर निकाय लड़ेगा। यह गठबंधन नगरीय निकायों की सत्ता से भाजपा का सफाया करेगा।