राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण को लेकर बड़ा बयान दिया है। इसी के साथ संघ प्रमुख ने एक बार फिर ‘अखंड भारत’ की वकालत करते हुए बताया कि कब तक ये सपना साकार हो सकता है?

महाराष्ट्र के नागपुर में एक कार्यक्रम में बुधवार (6 सितंबर) को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत कहा कि समाज में जब तक भेदभाव है, तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए। इसी के साथ एक छात्र के सवाल पर ‘अखंड भारत’ का सपना कब तक साकार होगा? ये भी बताया।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण को लेकर कहा कि भेदभाव होने तक हम इसका समर्थन करते हैं। अपने बयान में संघ प्रमुख ने कहा, “हमने अपने ही साथी मनुष्यों को सामाजिक व्यवस्था में पीछे रखा। हमने उनकी परवाह नहीं की और यह लगभग 2,000 वर्षों तक जारी रहा। जब तक हम उन्हें समानता नहीं दिला देते, तब तक कुछ विशेष उपाय करने होंगे, आरक्षण उनमें से एक है।

#WATCH | Nagpur, Maharashtra: On reservations, RSS chief Mohan Bhagwat says, “We kept our own fellow human beings behind in the social system…We did not care for them, and this continued for almost 2,000 years…Until we provide them equality, some special remedies have to be… pic.twitter.com/kBxrlAYAgV

— ANI (@ANI) September 6, 2023

उन्होंने आगे कहा कि जब तक ऐसा भेदभाव है तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए। संघ संविधान में प्रदत्त आरक्षण का पूर्ण समर्थन करता है।

वहीं कार्यक्रम में एक छात्र के सवाल कि भारत देश को ‘अखंड भारत’ के रूप में कब तक देख लेंगे पर मोहन भागवत ने जवाब देते हुए कहा कि ”कब तक मैं नहीं बता सकता, लेकिन ये बताता हूं कि आप करने उसे करने जाएंगे तो आपके बूढ़े होने से पहले आपको दिखेगा। क्योंकि अब परिस्थितियां ऐसी करवट ले रही हैं, जो भारत से अलग हुए उनको लगता है कि वो गलती हो गई।”

#WATCH | Nagpur, Maharashtra: On ‘Akhand Bharat’, RSS chief Mohan Bhagwat says, “…Those who separated from Bharat feel they have made a mistake…Bharat hona yani Bharat ke swabhav ko svikar karna…” pic.twitter.com/zc7kj1KU4Q

— ANI (@ANI) September 6, 2023

संघ प्रमुख ने आगे कहा कि हम को फिर से भारत होना चाहिए। वो मानते हैं कि भारत होना मतलब नक्शे की रेखा को पोछ डालना, ऐसा नहीं है…भारत होना यानी भारत के स्वभाव को स्वीकार करना है।

वहीं आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संघ की संस्कृति में, जहां भी राष्ट्र के गौरव और राष्ट्रीय ध्वज का सवाल होगा, संघ कार्यकर्ता अपने जीवन का बलिदान देने के लिए हमेशा सबसे आगे रहेंगे।

 

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