हिटमैन का टेस्ट सफर: उतार-चढ़ाव से भरा रोहित शर्मा का यादगार करियर
नई दिल्ली, 8 मई (हि.स.)। जब कोई भारतीय टेस्ट क्रिकेट का जिक्र करता है तो विराट कोहली, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, चेतेश्वर पुजारा जैसे नाम सबसे पहले याद आते हैं लेकिन, रोहित शर्मा, जिन्हें दुनिया ‘हिटमैन’ के नाम से जानती है, का टेस्ट करियर भी कुछ कम दिलचस्प नहीं रहा। अब जब उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया है, तो उनके सफर पर एक नज़र डालना जरूरी है, जो संघर्ष, वापसी और अंत में एक मजबूत ओपनर बनने की कहानी कहता है।
देर से मिली शुरुआत, पर छाप छोड़ी
रोहित ने 2007 में इंटरनेशनल डेब्यू किया था, लेकिन टेस्ट कैप उन्हें 2013 में मिली। उस वक्त तक वह घरेलू क्रिकेट में खुद को साबित कर चुके थे। अपने पहले ही टेस्ट में उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ 177 रनों की यादगार पारी खेली, जो सचिन तेंदुलकर के आखिरी टेस्ट का हिस्सा भी थी। इसके बाद उन्होंने नाबाद 111 रन की पारी खेली और टेस्ट करियर की शुरुआत धमाकेदार की।
घर पर खूब चला बल्ला, बाहर गिरा औसत
अगर बात घर के मैदानों की करें, तो रोहित का बल्ला जमकर बोला। भारत में खेले 34 टेस्ट में उन्होंने 51.73 की औसत से 2,535 रन बनाए, जिसमें 10 शतक और 8 अर्धशतक शामिल हैं। 2019 में जब उन्हें टेस्ट ओपनर बनाया गया, तब उन्होंने साउथ अफ्रीका के खिलाफ 176 और 127 की पारियों से सभी को चौंका दिया। रांची में 212 रन का स्कोर उनका टेस्ट करियर का सर्वश्रेष्ठ रहा।
विदेशों की पिचों पर कहानी कुछ और रही। 33 टेस्ट में उन्होंने सिर्फ 1,766 रन बनाए, औसत महज 30.98 रहा। सेना देशों (साउथ अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया) में उनका औसत और भी नीचे, सिर्फ 28.17 रहा।
ओपनर बनने के बाद बदला ग्राफ
मिडल ऑर्डर में रहकर 2013-18 तक रोहित ने 27 टेस्ट में सिर्फ 1,585 रन बनाए। लेकिन जब उन्हें ओपनर बनाया गया, तब उनके प्रदर्शन में स्थिरता दिखने लगी। उन्होंने उस रोल में 2,674 रन बनाए, जिसमें सात शतक भी शामिल हैं। हालांकि विदेशों में ओपनर बनने के बाद भी औसत 37.63 तक ही पहुंचा।
2021 में इंग्लैंड के खिलाफ पटौदी ट्रॉफी में रोहित ने 368 रन बनाकर सभी को प्रभावित किया था। 127 की शानदार पारी उसी सीरीज में आई, जो सेना देशों में उनका इकलौता टेस्ट शतक रहा।
कप्तान के तौर पर मिली-जुली तस्वीर
घरेलू मैदान पर रोहित ने कप्तानी करते हुए 16 टेस्ट में 10 जीते, लेकिन न्यूजीलैंड के खिलाफ 3-0 की शर्मनाक हार उनके कार्यकाल का सबसे बड़ा झटका रही। विदेशी सरजमीं पर उन्होंने सिर्फ दो टेस्ट जीते, और सेना में सिर्फ एक। बल्लेबाज के रूप में कप्तान रहते हुए उनका औसत विदेश में गिरकर 14.90 तक चला गया।
किन विरोधियों के खिलाफ चमके रोहित?
वेस्टइंडीज रोहित की फेवरेट विरोधी टीम रही है। इस टीम के खिलाफ 6 टेस्ट में 578 रन, तीन शतक और औसत 96.33 रहा। इंग्लैंड के खिलाफ भी उनका रिकॉर्ड अच्छा रहा। 14 टेस्ट में 1,147 रन, चार शतक शामिल रहे। साउथ अफ्रीका, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनका प्रदर्शन ठीक-ठाक रहा, लेकिन वह लगातार अच्छा नहीं कर सके।
एक अधूरी किंवदंती?
रोहित शर्मा का टेस्ट करियर ‘क्या होता अगर’ की एक लंबी लिस्ट छोड़ता है। क्या होता अगर उन्हें शुरुआत से ही ओपनर की भूमिका दी जाती? क्या होता अगर वह विदेशों में भी उसी तरह का आत्मविश्वास दिखा पाते जैसे घर पर? इन सवालों के जवाब शायद कभी न मिलें, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि एक मिडल ऑर्डर फ्लॉप से लेकर भरोसेमंद ओपनर बनने तक की उनकी यात्रा क्रिकेट इतिहास में हमेशा याद रखी जाएगी।
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