नदियां हमारे जीवन का आधार ही नहीं, हमारी संस्कृति और सभ्यता की प्रतीक: स्वामी चिदानन्द सरस्वती

संकल्प की संपूर्ति, आनंद और उत्साह का पर्व है माघी पूर्णिमा, विश्व के अनेक देशों से आये श्रद्धालुओं ने किया ध्यान, संगम स्नान और यज्ञ

महाकुम्भ नगर, 12 फरवरी (हि.स.)। नदियां न केवल हमारे जीवन का आधार हैं, बल्कि हमारी संस्कृति और सभ्यता की भी प्रतीक हैं। जल का संरक्षण जीवन का संरक्षण है। यह उद्गार महाकुम्भ में माघ पूर्णिमा के पावन अवसर पर विश्व के विभिन्न देशों से आए भक्तों के साथ स्नान करने के बाद परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि जल चेतना, जन चेतना बने और जल क्रांति जन, क्रांति बने, ताकि हम आने वाले जल संकटों का समाधान कर सकें और जल के महत्व को समझ सकें।

माघ पूर्णिमा स्नान केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस समय में ठंड खत्म होने की ओर रहती है और शिशिर ऋतु की शुरुआत होती है। ऋतु परिवर्तन के साथ शरीर में उत्पन्न होने वाले नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए नदियों में स्नान करना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। स्नान करने से शरीर में ताजगी और ऊर्जा का संचार होता है, जो जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाता है। हमारी नदियाँ केवल जलवाहिकाएँ नहीं हैं, बल्कि ये प्रकृति और धरती की जीवनदायिनी शक्ति हैं। हमारी जिम्मेदारी है कि हम इन नदियों को प्रदूषण और प्लास्टिक मुक्त रखें। नदियों का संरक्षण करना हम सभी का कर्तव्य है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इनका उपयोग कर सकें और इनसे प्राप्त शुद्ध जल से जीवन के वास्तविक सुख का अनुभव कर सकें।

उन्होंने कहा कि आजकल जल संकट एक गंभीर समस्या बन चुकी है। जल विशेषज्ञों के अनुसार, आनेवाले समय में जल को लेकर वैश्विक संघर्ष हो सकते हैं। जल है तो जीवन है, जल है तो कल है, जल है पूजा है और प्रार्थना है और जल है तो कुम्भ है और हम सब यहां पर है। इस पावन अवसर पर श्रद्धालुओं को संकल्प लेने का आह्वान किया कि वे अपने जीवन में जल के महत्व को समझें, नदियों को प्रदूषणमुक्त रखें और आत्मिक उन्नति की दिशा में अग्रसर हों। इस दौरान डा. साध्वी भगवती सरस्वती के पावन सानिन्ध्य में देश व विदेश से आए श्रद्धालुओं ने भजन, कीर्तन और मंत्रोपचार के साथ संगम में स्नान किया।

—————

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights