एरीज नैनीताल में भू-आधारित फूरियर ट्रांसफॉर्म इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी स्थापित करने का प्रस्ताव
नैनीताल, 17 जून (हि.स.)। स्थानीय एरीज यानी आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान अनुसंधान संस्थान नैनीताल में मंगलवार को वायुमंडलीय संरचना में हो रहे परिवर्तनों के अध्ययन हेतु भू-आधारित फूरियर ट्रांसफॉर्म इन्फ्रारेड (एफटीआईआर) स्पेक्ट्रोस्कोपी के वैश्विक विशेषज्ञों व डेटा उपयोगकर्ताओं की अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। यह संगोष्ठी वायुमंडलीय संरचना में हो रहे बदलावों की हमारी समझ को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
संगोष्ठी में एरीज नैनीताल में हिमालयी क्षेत्रों का पहला-वायुमंडलीय परिवर्तन का अध्ययन करने वाला भू-आधारित फूरियर ट्रांसफॉर्म इन्फ्रारेड (एफटीआईआर) स्पेक्ट्रोस्कोपी उपकरण स्थापित करने का प्रस्ताव सामने आया। संगोष्ठी में वायुमंडलीय परिवर्तन का अध्ययन कर रहे वैश्विक नेटवर्क-एनडीएसीसी-आईआरडब्ल्यूजी, टीसीसीओएन व सीओसीसीओएन से जुड़े वैज्ञानिक सम्मिलित हुए। संगोष्ठी में बताया गया कि वर्तमान में भारत में ऐसे उपकरण राष्ट्रीय केवल दूरसंवेदी केंद्र (एनआरएससी) हैदराबाद, इसरो और आईआईएसईआर कोलकाता के पास ही हैं। इन अत्याधुनिक उपकरणों को पीआरएल अहमदाबाद व आईआईएसईआर भोपाल में स्थापित करने की योजना है। हिमालयी क्षेत्रों में अभी तक ऐसे उपकरण नहीं हैं, एरीज नैनीताल इस दिशा में पहल करते हुए इन्हें स्थापित करने का प्रस्ताव कर रहा है।
संगोष्ठी में जानकारी दी गई कि एफटीआईआर के दो प्रकार के उपकरण होते हैं-पहला बुनियादी उपकरण किसी विशेष क्षेत्र में वायुमंडल में मौजूद ग्रीनहाउस गैसों की कुल मात्रा को प्रदर्शित करता है, जबकि दूसरा उन्नत उपकरण इन गैसों की न केवल कुल मात्रा बल्कि उनके ऊर्ध्वाधर वितरण को भी प्रदर्शित करता है। दुनिया भर में वर्तमान में ऐसे लगभग 170 उपकरण कार्यरत हैं। संगोष्ठी में लगभग 40 अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने अपने शोध व अनुभव प्रस्तुत किये। संगोष्ठी में एरीज के निदेशक डॉ. मनीष नाजा, डॉ. नरेंद्र, डॉ.मोहित जोशी, डॉ. उमेश, डॉ. प्रियंका आदि वैज्ञानिक भी सम्मिलित हुए।