कैंची धाम के लिये एक और वैकल्पिक मार्ग की संभावना
-हाईकोर्ट ने दिये राज्य सरकार को से तीन सप्ताह के भीतर स्थिति स्पष्ट करते हुए जवाब दाखिल करने के निर्देश
नैनीताल, 3 मई (हि.स.)। नैनीताल के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल कैंचीधाम के लिये मात्र 6 से 8 किमी मार्ग के बनने से एक नया वैकल्पिक मार्ग बन सकता है और कैंची धाम की दूरी भी दिल्ली व उत्तर प्रदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिये 10 किमी तक कम हो सकती है। साथ ही कैंची धाम जाने के लिये काठगोदाम से भीमताल व भवाली होते हुए कैंची धाम तक लगने वाले जाम से भी काफी हद तक मुक्ति मिल सकती है।
खास बात यह भी है कि इस मार्ग के लिये स्वीकृति के साथ बजट भी वर्ष 2008 में स्वीकृत हो चुका है, लेकिन मार्ग का निर्माण वन भूमि हस्तांतरण के कारण 18 वर्ष से लटका हुआ है। इन स्थितियों के बीच इधर इस मार्ग को लेकर उत्तराखंड उच्च न्यायालय में भी जनहित याचिका दायर की गयी है, जिस पर न्यायालय ने इस मार्ग के निर्माण को अत्यंत आवश्यक बताया है और राज्य सरकार से शीघ्र निर्णय लेने को कहा है। अगली सुनवाई के लिए 4 जुलाई की तिथि नियत की गई है।
उल्लेखनीय है कि कालाढूंगी से कोटाबाग होते हुए रातीघाट तक बाइपास के रूप में सड़क प्रस्तावित है, जिसमें कालाढूंगी से कोटाबाग तक 15 किमी पक्की सड़क पहले से मौजूद है और कोटाबाग से बगड़ तक 12 किमी सड़क निर्माणाधीन है। जबकि बगड़ से पंगोट तक भी 4 किमी सड़क बनी है। पंगोट के लिये नैनीताल से भी पक्की सड़क है। पंगोट से बुधलाकोट तक लगभग 6 से 8 किमी सड़क के लिये वर्ष 2008 में बजट स्वीकृत हुआ था, लेकिन वन भूमि के हस्तांतरण के कारण यह सड़क लंबित है। जबकि आगे बुधलाकोट से रातीघाट तक 15 किमी और रातीघाट से कैंचीधाम तक 5 किमी सड़क भी बनी हुई है। इस प्रकार पंगोट से बुधलाकोट तक लगभग 6 से 8 किमी सड़क बन जाने से कालाढुंगी से 55 से 57 किमी चलकर सीधे, बिना नैनीताल-भवाली में जाम के कैंचीधाम पहुंचा जा सकता है, जबकि अभी कालाढुंगी से कैंचीधाम की दूरी 65 किमी है। इस सड़क के लिये क्षेत्रीय ग्रामीणों ने आगामी पंचायत चुनाव के बहिस्कार की भी धमकी दी है।
उच्च न्यायालय ने भी दिखाया है कड़ा रुख
क्षेत्रीय समाजसेवी विजय बुधलाकोटी के द्वारा उत्तराखंड उच्च न्यायालय में इस संबंध में दायर जनहित याचिका दायर पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने राज्य सरकार से तीन सप्ताह के भीतर स्थिति स्पष्ट करते हुए जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही पूछा है कि आखिर क्यों कालाढूंगी से कोटाबाग होते हुए रातीघाट तक प्रस्तावित बाईपास मार्ग का निर्माण अधूरा छोड़ दिया गया है। न्यायालय ने कहा है कि यदि कालाढुंगी-रातीघाट बाईपास मार्ग को पूरा किया जाता है, तो न केवल भवाली और प्रसिद्ध तीर्थस्थल कैंची धाम बल्कि पर्यटन नगरी नैनीताल को भी जाम से बड़ी राहत मिल सकती है।