सिंदूर की लाली बरकरार रखेंगे प्रधानमंत्री मोदी

बद्रीनाथ वर्मा

नई दिल्ली, 27 मई (हि.स.)। हिंदू स्त्रियों के सुहाग का प्रतीक सिंदूर जब बारूद बन जाता है तो दुश्मन को घुटनों पर ला देता है। यह पूरी दुनिया ने देख लिया है। पहलगाम में 26 महिलाओं का सिंदूर उजाड़ने वालों को ऐसा सबक मिला है जिससे उनकी आने वाली नस्लें भी कांपेगी। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए पाकिस्तान के जर्रे-जर्रे को सुहागिनों के सिंदूर की असल कीमत बता देने के बाद पहली बार गुजरात के भुज पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जोरदार स्वागत 1971 की वीरांगनाओं ने किया। ये वही वीरांगनाएं हैं जिन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच हुए 1971 के युद्ध में रातों-रात गुजरात के भुज स्थित क्षतिग्रस्त हुए भारतीय वायुसेना के रनवे को सिर्फ 72 घंटों में तैयार कर भारतीय सेना की मदद की थी।

भुज के माधपरा में रहने वाली वीरांगनाओं ने न केवल प्रधानमंत्री का स्वागत किया बल्कि उन्हें जी भरकर आशीर्वाद भी दिया। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता से गदगद माधपरा की इन वीरांगनाओं ने प्रधानमंत्री मोदी को सिंदूर का एक पौधा भी भेंट किया। प्रधानमंत्री ने भेंट के तौर पर सिंदूर के पौधे को स्वीकार करके वीरांगनाओं से कहा कि वे यह पौधा प्रधानमंत्री आवास पर लगाएंगे। यह पौधा हमेशा बरगद के पेड़ की तरह प्रधानमंत्री आवास में रहेगा। सिंदूर का पौधा भेंट करने वाली वीरांगनाओं में कानबाई हिरानी (80), शामबाई खोखनी (83), लालबाई भूरिया (82) और सामू भंडेरी (75) शामिल थीं। उन्होंने माधपरा की तीन सौ स्वयंसेवी महिलाओं के साथ मिलकर 1971 में पाकिस्तानी बमबारी से क्षतिग्रस्त हुए भुज एयरबेस के रनवे को 72 घंटों से भी कम वक्त में रनवे ठीक किया। उसके बाद उसी रनवे से भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी और पाकिस्तान को धूल चटाई थी।

बहरहाल, हिंदू धर्म में हर सुहागिन महिला का अहम शृंगार होता है सिंदूर। मांग में सजने से पहले यह एक लंबी यात्रा तय करता है। सुहागनों का ये श्रृंगार एक विशेष पौधे के बीज से बनता है। सिंदूर की इस यात्रा की कहानी बड़ी रोचक है। सिंदूर के इस पेड़ को अंग्रेजी में कुमकुम ट्री या कमीला ट्री कहते हैं। यह मैलोटस फिलिपेंसिस स्पर्ज परिवार का एक पौधा है। इसमें चटख लाल रंग के फल उगते हैं। इनसे ही पाउडर और लिक्विड फॉर्म में सिंदूर या लिपस्टिक बनाई जाती है। सिंदूर का पौधा आम न होकर बहुत खास है। यह हर जगह नहीं पैदा होता। कुछ खास इलाकों में ही यह उगता है। महाराष्ट्र, गुजरात और हिमाचल के कुछ गिने-चुने इलाकों में ही यह मिलता है। वैसे साउथ अमेरिका में काफी तादात में पाया जाता है।

अन्य वनस्पति की तरह यह भी एक ऐसा पौधा होता है जिसके फल से सिंदूर प्राप्त होता है। इसे लिक्विड लिपस्टिक ट्री भी कहा जाता है। सिंदूर का पेड़ 20 से 25 फीट तक ऊंचा होता है। पेड़ के फल से निकलने वाले लाल चटख रंग के बीजों को पीसकर प्राकृतिक सिंदूर बनाया जाता है। न बनाने वाले को कोई नुकसान होता है और न ही मांग में सजाने वाली महिलाओं को। कमीला के पेड़ पर फल गुच्छों में लगते हैं, जो शुरू में हरे रंग के होते हैं। लेकिन बाद में यह फल लाल रंग में बदल जाता है। इन फलों के अंदर ही सिंदूर होता है। वह सिंदूर छोटे-छोटे दानों के आकार में होता है, जिसे पीसकर बिना किसी दूसरी चीजों की मिलावट के सीधे तौर पर प्रयोग में लाया जा सकता है। यह शुद्ध और स्वास्थ्य के लिए भी बहुत ही उपयोगी है। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। सिंदूर का इस्तेमाल न सिर्फ मांग भरने के लिए होता है, बल्कि इसका प्रयोग खाद्य पदार्थों को लाल रंग देने के लिए भी होता है।

इतना ही नहीं, कई दवाओं में भी इसका उपयोग किया जाता है। इसे लिपस्टिक, हेयर डाई, नेल पॉलिश जैसे कई चीजों में इस्तेमाल किया जाता है। कमर्शियल यूज में रेड इंक बनाने, पेंट के लिए इस्तेमाल करने व साबुन बनाने में होता है। रेड डाई का इस्तेमाल जहां-जहां हो सकता है, वहां इस पौधे का प्रयोग किया जाता है। अफ्रीकन जर्नल ऑफ बॉयो मेडिकल रिसर्च में छपी खबर के मुताबिक इसमें एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल गुण होते हैं। इसके चिकित्सकीय विशेषताओं को लेकर प्रकाशित समीक्षा रिपोर्ट में बताया गया कि बीजों से प्राप्त प्राकृतिक रंग, जिसे बिक्सिन कहा जाता है। उसका व्यापक रूप से खाद्य, औषधीय, कॉस्मेटिक और कपड़ा उद्योगों में उपयोग किया जाता है। इस पौधे के विभिन्न भागों का उपयोग दस्त, बुखार, त्वचा संक्रमण आदि बीमारियों के इलाज में किया जाता है। वैसे कृत्रिम सिंदूर हल्दी, चूना और मरकरी को सही अनुपात में मिलाकर बनाया जाता है। लेकिन प्राकृतिक सिंदूर प्रकृति ही प्रदान करती है।

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