बाराबंकी। उत्तर प्रदेश में बाराबंकी जिले के बेसिक शिक्षा विभाग  में एमडीएम का करीब साढ़े 6 करोड़ रुपए दूसरे के खाते में भेज कर हजम करने के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार शुक्ल ने दो विभागीय कर्मचारियों समेत 7 लोगों को दोषी माना। न्यायाधीश  ने इस मामले में सातों अभियुक्तों को 10-10 वर्ष का कठोर कारावास और 15-15 हजार रुपए का जुर्माने  की सजा सुनाई है। जबकि एक अभियुक्त पर न्यायाधीश ने 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।

मिली जानकारी के मुताबिक, दरअसल तत्कालीन एमडीएम जिला समन्वयक राजीव शर्मा ने बेसिक शिक्षा विभाग के कुछ कर्मचारियों और सहयोगियों के साथ मिलकर करीब 6.50 करोड़ रुपए दूसरों के खाते में भेजकर डकार लिए थे। तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी विष्णु प्रताप सिंह ने जांच के दौरान इस मामले को पकड़ा। जांच में पुख्ता सबूत मिलने पर तत्कालीन बीएसए वीपी सिंह ने डीसी एमडीएम राजीव शर्मा और इनके सहयोगी रहीमुद्दीन, असगर मेंहदी, विभागीय कर्मचारी अखिलेश शुक्ला, रघुराज सिंह उर्फ किशन के साथ ही दो महिला रोज सिद्दीकी और साधना के खिलाफ नगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था।

आपको बता दें कि सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता सुनील दुबे ने बताया कि मध्यांह भोजन योजना के तहत सरकारी स्कूलों में बच्चों को मिलने वाले मिड डे मील योजना के अन्तर्गत सरकारी स्कूलों को मिलने वाली योजना की धनराशि निजी खातों में स्थानांतरित करने के मामले में सात लोग दोषी पाए गए थे। इस मामले की रिपोर्ट 29 दिसंबर 2018 को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी वीपी सिंह ने थाना कोतवाली नगर में दर्ज करवाई थी। जिसके तहत मुकदमा पंजीकृत हुआ था। अपर सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार शुक्ल ने आरोपी सभी लोगों को दोषी माना है और सातों अभियुक्तों को 10-10 वर्ष का कठोर कारावास और 15-15 हजार रुपए का जुर्माने की सजा सुनाई है। जबकि एक अभियुक्त पर न्यायाधीश ने 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।

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