मणिपुर में बुधवार को भड़की हिंसा के बाद राज्य में स्थिति तनावपूर्ण है। भारतीय सेना और असम राइफल्स के जवानों ने हिंसाग्रस्त इलाकों से अब तक 7500 से अधिक नागरिकों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। इसी बीच हो रही हिंसा के बीच सरकार ने नया आदेश दिया है। सरकार ने कहा कि दंगे की स्थिति में तुरंत गोली मारे। देश का एक राज्य मणिपुर हिंसा की आग में जल रहा है। बुधवार को भड़की हिंसा के बाद राज्य में स्थिति भयंकर तनावपूर्ण है। सेना और असम राइफल्स के जवानों ने हिंसाग्रस्त इलाकों से अब तक 7500 से अधिक नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। बताया जा रहा है कि नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए रातभर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। अब मणिपुर के हिंसाग्रस्त माहौल को देखतु हए राज्यपाल ने कुछ इलाकों में दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए हैं।
मणिपुर के राज्यपाल ने कुछ इलाकों में दंगाइयों को देखते ही गोली मार देने के राज्य सरकार के फैसले को मंजूरी दे दी है। इससे पहले हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में धारा 144 लागू कर दी गई थी। राज्य में अगले पांच दिनों के लिए इंटरनेट भी बंद कर दिया गया है। मणिपुर में असम राइफल्स की 34 और सेना की 9 कंपनियां तैनात हैं। इनके अलावा गृह मंत्रालय ने रैपिड एक्शन फोर्स की भी पांच कंपनियों को मणिपुर भेज दिया है। हालांकि, इसके बावजूद मणिपुर में बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिसके बाद सरकार को इस तरह का सख्त निर्णय लेना पड़ा है।
राज्य की आबादी में लगभग 55 प्रतिशत हिस्सा रखने वाले गैर-आदिवासी मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग के खिलाफ चुराचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर के द्वारा बुलाए गए ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान बुधवार को भयंकर हिंसा भड़क गई थी। बता दें कि मार्च का आयोजन मणिपुर हाई कोर्ट के पिछले महीने राज्य सरकार को मेइती समुदाय द्वारा एसटी दर्जे की मांग पर चार हफ्ते के भीतर केंद्र को एक सिफारिश भेजने के लिए कहने के बाद किया गया था।