उत्तर-पूर्व को मिलेगा खेलों का नया मंच, हर साल होंगे ‘खेलो इंडिया नॉर्थईस्ट गेम्स’: डॉ मनसुख मांडविया

-खेल प्रतिभाओं की पहचान के लिए सरकार की डिजिटल पहल, उत्तर-पूर्व बनेगा खेलों का केंद्र

नई दिल्ली, 24 मई (हि.स.)। देश के उत्तर-पूर्वी राज्यों में छिपी खेल प्रतिभा को राष्ट्रीय मंच देने और उसे प्रोत्साहन देने के लिए भारत सरकार हर वर्ष ‘खेलो इंडिया नॉर्थईस्ट गेम्स’ आयोजित करेगी। यह घोषणा शनिवार को केंद्रीय युवा मामलों और खेल मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने ‘राइजिंग नॉर्थईस्ट इन्वेस्टर्स समिट 2025’ में की। यह आयोजन नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में हुआ।

डॉ मांडविया ने कहा, “जिस तरह उत्तर-पूर्व भारत में परिवर्तन की लहर आई है, उसी तरह अब खेलों का एक नया युग भी इस क्षेत्र से शुरू हो रहा है। आज देश के कई शीर्ष खिलाड़ी उत्तर-पूर्व से आ रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का नाम रोशन कर रहे हैं।”

उत्तर-पूर्व राज्यों में हर साल होगा खेलो इंडिया नॉर्थईस्ट गेम्स

मंत्री ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा में बारी-बारी से हर वर्ष खेलो इंडिया नॉर्थईस्ट गेम्स आयोजित किए जाएंगे। इसका उद्देश्य न केवल प्रतिभा की पहचान और पोषण करना है, बल्कि परंपरागत खेलों को भी मंच प्रदान करना है।

खेल अधोसंरचना में अभूतपूर्व विकास

डॉ मांडविया ने बताया कि उत्तर-पूर्व में खेल अधोसंरचना को मजबूत करने के लिए 2021 में 439 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई थी, जिसके तहत 64 परियोजनाएं शुरू की गईं, जिनमें सिंथेटिक टर्फ, मल्टीपर्पज हॉल, स्विमिंग पूल और छात्रावास शामिल हैं। आज इस क्षेत्र में 86 खेल परियोजनाएं सक्रिय रूप से उपयोग में हैं।

खिलाड़ियों की पहचान के लिए नई डिजिटल पहल

सरकार ‘राष्ट्रीय खेल भंडार प्रणाली’ (एनएसआरएस) पोर्टल पर एक विशाल प्रतिभा पहचान अभियान शुरू करने जा रही है। कोई भी नागरिक किसी खिलाड़ी के खेल प्रदर्शन का वीडियो अपलोड कर सकता है। यदि वह खिलाड़ी संभावनाशील पाया जाता है, तो भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) की टीम मौके पर जाकर उसका मूल्यांकन करेगी और उसे खेलो इंडिया केंद्र (केआईसी) या राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (एनसीओई) में शामिल किया जाएगा।

उत्तर-पूर्व में मजबूत हो रहा है जमीनी स्तर का खेल ढांचा

वर्तमान में उत्तर-पूर्वी भारत में 250 से अधिक खेलो इंडिया केंद्र (केआईसी) हैं, जहां 8000 से अधिक खिलाड़ी प्रशिक्षण ले रहे हैं। इसके अतिरिक्त 8 राज्य स्तरीय उत्कृष्टता केंद्र (केआईएससीई) और गुवाहाटी, इटानगर और इम्फाल में 3 राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (एनसीओई) सक्रिय हैं, जहां 600 से अधिक खिलाड़ियों को विश्वस्तरीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

महिला खिलाड़ियों के लिए विशेष पहल

खेल मंत्री ने बताया कि ‘खेलो इंडिया अस्मिता लीग’ के तहत 13,000 से अधिक उत्तर-पूर्व की लड़कियों ने विभिन्न खेलों में भाग लिया। यह दर्शाता है कि यह क्षेत्र अब खेल प्रतिभा का नया केंद्र बनता जा रहा है, जो भविष्य में राष्ट्रीय टीम को मजबूत बैकअप देगा।

अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों के लिए भारत है उपयुक्त: मांडविया

डॉ मांडविया ने कहा कि भारत 2030 में राष्ट्रमंडल खेलों और 2036 में ओलंपिक की मेजबानी का लक्ष्य लेकर चल रहा है। भारत की भौगोलिक विविधता (दक्षिण में मानसून, उत्तर में हिमपात और पश्चिम में गर्मी) इसे वर्ष भर अंतरराष्ट्रीय खेलों की मेजबानी के लिए आदर्श बनाती है। उन्होंने कहा, “जैसे ‘मेक इन इंडिया’ ने दुनिया को भारत में निर्माण की दिशा में आकर्षित किया, वैसे ही ‘प्ले इन इंडिया’ भारत को वैश्विक खेल गंतव्य बना सकता है।”

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