विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि वह रूस की अपनी पांच दिवसीय यात्रा में देश के नेताओं के साथ अपनी बैठकों को लेकर आशान्वित हैं।

जयशंकर सोमवार को रूस की पांच दिवसीय यात्रा पर मॉस्को पहुंचे, इस दौरान वह अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ बातचीत करेंगे और विभिन्न द्विपक्षीय तथा वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे।

जयशंकर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘मॉस्को पहुंच गया हूं। अपनी बातचीत को लेकर आशान्वित हूं।’’

एक अन्य पोस्ट में विदेश मंत्री ने 1962 में उन्हें बचपन में मिले एक निमंत्रण पत्र को साझा किया, जो सोवियत संघ के अंतरिक्ष यात्रियों के एक अभियान का जश्न मनाने के लिए भेजा गया था।

उन्होंने रूस के रणनीतिक समुदाय के प्रमुख प्रतिनिधियों से बातचीत की और कनेक्टिविटी, बहुपक्षवाद, बड़ी शक्तियों के बीच स्पर्धा तथा क्षेत्रीय संघर्षों पर चर्चा की।

जयशंकर ने कहा, ‘‘रूसी रणनीतिक समुदाय के प्रमुख प्रतिनिधियों के साथ खुली और दूरदर्शी बातचीत की। पुन: संतुलन के महत्व और बहुध्रुवीयता के उदय के बारे में बात की।’’

उन्होंने इस पर विचार साझा किए कि इस रूपरेखा में भारत-रूस संबंध कैसे आगे बढ़ेंगे और उन्होंने कनेक्टिविटी, बहुपक्षवाद, बड़ी शक्तियों के बीच स्पर्धा और क्षेत्रीय संघर्षों पर भी चर्चा की।

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘भूराजनीति और रणनीतिक अभिसरण भारत-रूस संबंधों को हमेशा सकारात्मक पथ पर बनाए रखेगा।’’

जयशंकर रूस के उप प्रधानमंत्री तथा उद्योग और व्यापार मंत्री डेनिस मांतुरोव से मुलाकात करेंगे और आर्थिक साझेदारी से जुड़े मामलों पर उनसे चर्चा करेंगे। वह द्विपक्षीय, बहुपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बातचीत के लिए रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ भी वार्ता करेंगे।

विदेश मंत्रालय ने रविवार को नयी दिल्ली में कहा, ‘‘समय के साथ परखी गई भारत-रूस साझेदारी स्थिर और लचीली बनी हुई है और विशेष तथा विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी की भावना से रेखांकित है।’’

उसने कहा, ‘‘हमारे दोनों देशों के लोगों के बीच मजबूत संबंध और सांस्कृतिक साझेदारियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, विदेश मंत्री के कार्यक्रम में मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग में वार्ताएं भी शामिल होंगी।’’

दोनों पक्ष विशेष रूप से व्यापार, ऊर्जा, रक्षा और संपर्क के क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों के अनेक पहलुओं पर चर्चा कर सकते हैं।

यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बावजूद भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत बने रहे हैं। भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल का आयात काफी बढ़ गया है, जबकि कई पश्चिमी देशों में इसे लेकर बेचैनी है।

भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा नहीं की है और वह कहता रहा है कि इस मुद्दे का समाधान कूटनीति और संवाद से किया जाना चाहिए।

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