इंडिया बनाम भारत विवाद को ‘ध्यान भटकाने की रणनीति’ और ‘घबराहट की प्रतिक्रिया’ करार देते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि सरकार थोड़ी डरी हुई है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस हद तक ‘परेशान’ हैं कि वह देश का नाम बदलना चाहते हैं जो “बेतुका” है।
एक सप्ताह की यूरोप यात्रा पर यहां आये राहुल गांधी ने एक पत्रकार सम्मेलन में कहा, “संविधान में हमारे पास जो नाम हैं, उनसे मैं खुश हूं। ‘इंडिया दैट इज भारत’ मेरे लिए बिल्कुल सही काम करता है। मुझे लगता है कि ये घबराहट की प्रतिक्रिया हैं, सरकार में थोड़ा डर है और यह ध्यान भटकाने की रणनीति है।”
उन्होंने कहा कि विपक्षी दल “हमारे गठबंधन के लिए इंडिया (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव एलायंस) नाम लेकर आए और यह एक शानदार विचार है क्योंकि यह दर्शाता है कि हम कौन हैं।”
उन्होंने कहा, “हम खुद को भारत की आवाज मानते हैं इसलिए यह शब्द हमारे लिए बहुत अच्छा काम करता है। लेकिन यह वास्तव में प्रधानमंत्री को बहुत परेशान करता है और वह देश का नाम बदलना चाहते हैं जो बेतुका है।”
मणिपुर हिंसा पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी लोकतांत्रिक अधिकारों और शांति के पक्ष में है और देश में लोकतांत्रिक और संस्थानों पर हमले हो रहे हैं।
राहुल गांधी ने कहा, “मणिपुर पर हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट थी। मैंने मणिपुर का दौरा किया था और मुझे लगता है कि हम लोगों के बीच लोकतांत्रिक अधिकारों, सद्भाव और शांति के पक्ष में हैं।”
उन्होंने कहा, “और जैसा कि सैम पित्रोदा ने कहा, मैं उसी उद्देश्य (एकता और शांति) के लिए (भारत जोड़ो यात्रा में) 4,100 किलोमीटर से अधिक चला और मेरी समझ से देश के लोगों को लगता है कि लोकतांत्रिक संरचनाओं और संस्थागत संरचनाओं पर देश को चलाने वाले लोगों के समूह द्वारा हमला किया जा रहा है। मुझे नहीं लगता कि इस बात से कोई अनभिज्ञ है। मुझे लगता है कि भारत के बारे में जानकारी रखने वाला कोई भी व्यक्ति यह जानता है।” उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से दूसरी चिंताएं भी हैं, जिसके बारे में इन दिनों भारत से ताल्लुक रखने वाला हर व्यक्ति अच्छी तरह जानता है।
यहां मणिपुर का मुद्दा उठाये जाने के बारे में पूछे गये एक सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा, “हमारी लड़ाई भारत में लोकतांत्रिक और लोकतंत्र के लिए है। यह हमारी ज़िम्मेदारी है और हम इसका ध्यान रखेंगे, और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हमारे संस्थानों और हमारी स्वतंत्रता पर इस तरह के हमले रुकें।”
उन्होंने मणिपुर में मानवाधिकार की स्थिति पर चर्चा करने के लिए यूरोपीय संसद के सदस्यों (एमईपी) के साथ एक गोलमेज बैठक की। बैठक आधिकारिक एजेंडे में नहीं थी, इसलिए इसे बंद दरवाजे के पीछे आयोजित किया गया।
सूत्रों के मुताबिक, बैठक अच्छी रही और राहुल गांधी एमईपी के साथ मणिपुर में मानवाधिकार का मुद्दा उठाने में सफल रहे। यूरोपीय संसद के सदस्य कथित तौर पर स्थिति के बारे में चिंतित थे और उन्होंने राज्य के लोगों के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया।
कश्मीर और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति की भूमिका पर एक अन्य सवाल पर कांग्रेस नेता ने कहा, “कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है इसलिए यह भारत के अलावा किसी का मामला नहीं है।”
राहुल गांधी ने कहा, “हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है और यहां तक कि सीडब्ल्यूसी के एक प्रस्ताव में भी हमने इसका उल्लेख किया है। लेकिन मुझे लगता है कि लोकतांत्रिक संरचनाओं और संस्थानों की रक्षा की जानी चाहिए और लोगों की आवाज की रक्षा और बचाव की जरूरत है और यह कश्मीर सहित पूरे भारत के बारे में है।”
जब उनसे पेगासस के बारे में पूछा गया और क्या अब भी उनकी जासूसी की जा रही है, तो उन्होंने कहा, “मेरा मतलब यह है कि पेगासस मेरे फोन पर था, यह एक ज्ञात तथ्य है। मुझे इस बात की विस्तृत जानकारी नहीं है कि मुझे कैसे ट्रैक किया जाता है, लेकिन मुझे ट्रैक किया जाता है, मैं निश्चित रूप से आश्वस्त हूं।”
राहुल गांधी 6 सितंबर को ब्रुसेल्स पहुंचे और 11 सितंबर तक फ्रांस, नीदरलैंड और नॉर्वे जैसे कुछ अन्य देशों का दौरा करेंगे और कई इंटरैक्टिव कार्यक्रमों में भाग लेंगे और व्यापारियों तथा प्रवासी भारतीयों से भी मिलेंगे।
अपनी यात्रा समाप्त करने के बाद उनका 12 सितंबर को लौटने का कार्यक्रम है।