नव्य-भव्य-दिव्य और डिजिटल महाकुंभ का आयोजन हाल ही में समाप्त हुआ, जिसमें 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में पवित्र स्नान किया। इस विशाल जनसैलाब के बीच, गंगा और यमुना की स्वच्छता बनाए रखना प्रशासन के लिए एक चुनौती साबित हुआ। स्वच्छता बनाए रखने के इस कार्य में संपूर्ण आधुनिक तकनीक का सहारा लिया गया। खासकर ट्रैश स्कीमर मशीनों का उपयोग किया गया, जो नदी, बंदरगाहों और समुद्र में कचरा हटाने का कार्य करती हैं।

इन मशीनों की क्षमता अद्भुत है। एक ट्रैश स्कीमर मशीन में 13 घन मीटर का कचरा इकट्ठा करने की क्षमता होती है, और वह एक बार में लगभग 3,600 किलो कचरा निकाल सकती है। इस महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं द्वारा प्रवाहित किए गए फूल-पत्ते, नारियल, और अन्य साधनों की बाढ़ के साथ-साथ प्लास्टिक की बोतलें और कपड़ों का कचरा भी भारी मात्रा में इकट्ठा हुआ। प्रशासन ने इन मशीनों के माध्यम से लगातार संगम क्षेत्र में इकट्ठा हुए कचरे को बाहर निकालने का कार्य जारी रखा।

संगम क्षेत्र में स्वच्छता अभियान को सफल बनाने के लिए 16,000 सफाईकर्मी दिन-रात काम में लगे रहे। इन सफाईकर्मियों ने घाटों, सड़कों, और टेंट सिटी में साफ-सफाई का कार्य किया। इसके लिए मोटर-बोट्स और अन्य तकनीकों का भी उपयोग किया गया, ताकि स्वच्छता का कार्य अधिक प्रभावी ढंग से संपन्न हो सके। इसके अतिरिक्त, सरकार ने श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु डेढ़ लाख से अधिक शौचालयों की व्यवस्था की, जिससे कि मास्क्कद की स्वच्छता का स्तर उच्चतम होने के साथ-साथ श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो।

स्वच्छता और पर्यावरण की प्राथमिकता के प्रति प्रशासन की यह जिम्मेदारी महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए बहुत महत्वपूर्ण थी। इसमें तकनीक के उपयोग ने यह साबित कर दिया कि अगर सही साधनों का प्रयोग किया जाए, तो बड़ी चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। अगले महाकुंभ के आयोजन में इन सब अनुभवों से सीखकर और भी बेहतर व्यवस्थाएं करने की कोशिश की जाएगी, ताकि श्रद्धालुओं का अनुभव और भी सुखद हो सके।

इस तरह, नव्य महाकुंभ का समापन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति एक सार्थक पहल भी है। यह दर्शाता है कि जब श्रद्धालु और प्रशासन एक साथ कदम उठाते हैं, तो किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है। अगले आयोजन की तैयारियों में बेहतर योजनाओं को शामिल करते हुए, प्रशासन द्वारा संगम की स्वच्छता को और भी अधिक प्राथमिकता दी जाएगी।

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