दिल्ली विधानसभा ने बजट सत्र की शुरुआत में उपराज्यपाल वीके सक्सेना के अभिभाषण को बाधित करने के लिए सात भाजपा विधायकों को निलंबित कर दिया गया था। हाईकोर्ट ने बुधवार को विधानसभा के इस आदेश को रद्द कर दिया।

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने भाजपा विधायक मोहन सिंह बिष्ट, अजय महावर, ओपी शर्मा, अभय वर्मा, अनिल बाजपेयी, जितेंद्र महाजन और विजेंद्र गुप्ता की याचिकाओं पर 27 फरवरी को आदेश सुरक्षित रखने के बाद फैसला सुनाया।

इन विधायकों ने विधानसभा के शेष बजट सत्र से अपने निलंबन को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। 23 फरवरी 2024 को विधानसभा अधिकारियों ने अदालत को आश्वासन दिया था कि निलंबन का मतलब असहमति को दबाना नहीं था, बल्कि कदाचार के जवाब में सेल्फ-अनुशासन का एक उपाय था।

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने आदेश में कहा कि रिट याचिकाएं स्वीकार की जाती हैं। इससे पहले विधायकों ने कहा था कि विशेषाधिकार समिति के समक्ष कार्यवाही के समापन तक उनका निलंबन नियमों का उल्लंघन था।

दूसरी ओर, विधानसभा अधिकारियों ने अदालत को बताया था कि विपक्षी विधायकों ने 15 फरवरी को उपराज्यपाल वीके सक्सेना को विधानसभा में संबोधन के दौरान कई बार रोका था। ऐसा इसलिए किया गया क्‍योंकि उपराज्यपाल ने आप सरकार की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला था।

इसके बाद आम आदमी पार्टी के विधायक दिलीप पांडे ने भाजपा विधायकों के निलंबन के लिए सदन में एक प्रस्ताव पेश किया था। जिसे विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने स्वीकार कर लिया था।

इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने इस मुद्दे को विशेषाधिकार समिति को भी भेजा था। जिसके बाद विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी को छोड़कर, सभी भाजपा विधायकों को सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने से रोक दिया गया था। इसी के साथ ही बजट सत्र की अवधि भी एक हफ्ते के लिए बढ़ा दी गई थी।

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