बदायूं में डेढ़ साल की बच्ची प्रभा के अपहरण से जुड़ा मामला हाल ही में पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हुआ है। घटना के तीन दिन बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए तीन संदिग्ध आरोपियों को एक मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार किया। इस दौरान, मुठभेड़ में दो आरोपियों को पैर में गोली लगी, जबकि तीसरे आरोपी को पुलिस ने घेराबंदी करके पकड़ा। इन में से एक आरोपी अमन, पड़ोसी गांव के प्रधान निरंजन का बेटा है। पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने बच्ची को बेचनें का प्रयास किया था, लेकिन बच्ची की पहचान होने के बाद योजना विफल हो गई। बच्ची को नसरुल्लापुर गांव के पास छोड़कर भागने में आरोपियों ने तेजी दिखाई, लेकिन पुलिस ने शनिवार को उसे सफलतापूर्वक बरामद कर लिया।
पुलिस अधीक्षक डॉ. ब्रजेश सिंह ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए चार टीमें बनाई थीं। सीसीटीवी फुटेज की मदद से पुलिस ने पाया कि अपहर्ता बच्ची को ले जाते हुए नजर आए थे। रविवार रात आठ बजे पुलिस ने उसहैत थाना क्षेत्र में एक रोड पर तीन संदिग्धों की घेराबंदी की। जब आरोपियों ने पुलिस को देख फायरिंग करना शुरू किया, तो पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में दो बदमाशों को घायल कर दिया। इनमें से एक का नाम अमन पाल है, जो कड्डीनगला गांव का निवासी है और उसके दाहिने पैर में गोली लगी है। वहीं, दूसरे बदमाश का नाम सागर कुमार है, जो कस्बा सखानू का रहने वाला है और उसके बाएं पैर में गोली लगी है। तीसरे आरोपी यशपाल सिंह की पहचान हुई है, जो बीफार्मा का छात्र है।
पुलिस ने इस गैंग के पास से दो बाइक, तीन तमंचे और छह कारतूस भी बरामद किए हैं। उल्लेखनीय है कि अमन, जो बीफार्मा की पढ़ाई पूरी कर चुका है, हाल ही में एक अस्पताल में नौकरी कर रहा था। घटनास्थल पर अमन के पिता भी पहुंचे और हंगामा किया, लेकिन बाद में जब अमन ने अपना अपराध स्वीकार किया, तो उनके सुर बदल गए। घटना का पृष्ठभूमि समझने के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि प्रभा का अपहरण गुरुवार को हुआ था, जब बाइक सवार दो बदमाशों ने उसे माता की मौजूदगी में उठा लिया।
बच्ची की मां श्यामा देवी ने बताया कि घटना के दौरान वह एक सरकारी हैंडपंप पर कपड़े धो रही थी और बदमाशों ने उनसे स्कूल की छुट्टी का समय पूछा था। बदमाशों ने धमकी दी कि वे उनके फोटो खींच लेंगे, जिससे वह डर गईं। जैसे ही बदमाशों ने बच्ची को उठाया, उनकी मां ने देखा कि उनके छोटे बेटे ने दूसरी ओर खेल रहा था। बदमाशों के हुलिए को ध्यान में रखते हुए, उनकी पहचान कर पाना आसान था।
हालांकि, पहले एक दिन पहले पुलिस ने इस मामले को फर्जी बताने का दावा किया था, और कहा कि यह स्थानीय विरोधियों को फंसाने का एक प्रयास हो सकता है। पुलिस अब यह तेज़ी से पता लगाने का प्रयास कर रही है कि इस अपहरण की साजिश में और कौन लोग शामिल हैं। ऐसे में इस मामले ने ना सिर्फ बदायूं बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी सुरक्षा को लेकर एक नया सवाल खड़ा किया है।