लखनऊ: बीते चुनावों में बसपा की गिरती साख को 2024 के लोकसभा चुनाव में बचाने को जुटे नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद दोहरी चुनौती का सामना कर रहे हैं। इस भीषण गर्मी में पार्टी को जिताने के साथ ही खुद को भी पार्टी का सही उत्तराधिकारी साबित करने की जिम्मेदारी भी उनके कंधे पर है। एकला चलो की रणनीति पर लोकसभा चुनाव लड़ रही बसपा के लिए मुख्य दल बने रहने की चुनौती है, 2019 के लोकसभा चुनाव में 10 सीटे जीतने वाली बसपा को सपा का समर्थन था, जो इस बार प्रतिद्वंदी की भूमिका में हैं। ऐसी परिस्थितियों में बसपा को दोबारा पुराने तेवर में लाने को पार्टी की बदली रंणनीति के तहत उत्तराधिकारी आकाश आनंद भी जिम्मेदारी उठा रहे है।
मायावती के विश्वास को अंजाम तक पहुंचाने बीते छह अप्रैल से आनंद ने पूरी ताकत झोंक रखी है। इस चुनावी सफर में विभिन्न जिलों में प्रत्याशियों के समर्थन में उनकी दो दर्जन से ज्यादा चुनावी सभा प्रस्तावित हैं। नेशनल कोऑर्डिनेटर की रैलियों में जुटने वाले युवाओं की संख्या को देखकर संगठन के पदाधिकारी भी खुश हैं। रैलियों में पीएम मोदी से लेकर परीक्षा पेपर लीक आदि स्थानीय मुद्दों को लेकर योगी सरकार पर भी हमलावर हो रहें हैं। आकाश आनंद रेलवे में रिक्त 30 लाख पद की बाते कर रहे है, नौकरी संबन्धी पेपर लीक होने और राज्य सरकार द्वारा नौजवानों को नौकरी न दे पाने का मुद्दा उठा रहे हैं।
प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल का कहना है कि आकाश आनंद, युवाओं के आईकॉन बन चुके है। आकाश आनंद युवाओं की समस्याओं पर बात करते हैं। पार्टी बैठकों में युवाओं की उपस्थिति 75 फीसदी हो चुकी है। नौजवानों के मुद्दों से रैलियों में युवा मतदाताओं की जबरदस्त भीड़ जुट रही है। ब्राम्हण, वैश्य, मुस्लिम, अनुसूचित सभी वर्ग का युवा आकाश आनंद के नेतृत्व में एकजुट है। यूथ के जुड़ने से पार्टी सभी 80 सीटों पर टक्कर दे रही है।
लोकसभा चुनाव की शुरुआत होते ही आकाश बसपा का लौटा हुआ जनाधार वापस लाने के लिए पुराने और कर्मठ बसपा नेताओं को भी साध रहे हैं,इसके लिए वह खुद उनसे मिलकर जनता की नाराजगी के बारे में जानकारी ले रहे, जिससे वह जब जनता के बीच जाते हैं तो बड़ी ही आसानी से उनसे घुलमिल जाते हैं।