कांग्रेस ने महिला आरक्षण बिल में ओबीसी महिलाओं को आरक्षण दिए जाने की मांग की है। कांग्रेस को जवाब देते हुए जेपी नड्डा ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा कि भारतीय जनता पार्टी और एनडीए ने नरेंद्र मोदी के रूप में देश को पहला ओबीसी प्रधानमंत्री दिया है।
इस पर विपक्ष के कई सांसद और एचडी देवेगौड़ा के समर्थक सदन में नाराज होकर शोर मचाने लगे। इन सांसदों का कहना था कि पहले ओबीसी प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा हैं।
नड्डा ने इन सांसदों को शांत कराते हुए कहा कि देवेगौड़ा हमारे अपने हैं और वह कांग्रेस के लिए बोल रहे हैं।
महिला आरक्षण विधेयक पर राज्यसभा में बोलते हुए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि हमने नारी को शक्ति के रूप में देखा, देवी के रूप में देखा और समाज को दृष्टि देने वाली के रूप में देखा।
जेपी नड्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जी20 में दुनिया को बताया कि यह केवल नारी सशक्तीकरण नहीं, बल्कि नारियों के नेतृत्व में हो रहा विकास है।
नड्डा ने कहा यदि हम भारतीय संस्कृति की बात करें तो यहां नारी का स्थान आर्थिक स्वायत्तता में रहा है। अध्यात्म से लेकर अध्यापन तक में नारी का विशेष योगदान रहा है।
नड्डा ने हड़प्पा काल की बात करते हुए कहा कि उस दौर की कांसे की डांसिंग गर्ल की मूर्तियां बताती हैं कि हमारे समाज में महिलाओं को कितनी स्वतंत्रता थी। यह दीगर बात है कि जब हम गुलामी के काल से गुजरे, मध्ययुगीन काल से गुजरे तो उस समय जो महिलाओं का उत्थान का स्थान था, उसमें कमी आई।
नड्डा ने भारतीय शब्दावली का उदाहरण देते हुए बताया कि हमारे यहां शब्दावली भी महिलाओं को सम्मान देने वाली है जैसे कि गौरी शंकर, गिरिजा शंकर, भवानी शंकर, सीताराम, राधेश्याम। बावजूद इसके दुनिया हमें समझाए कि लेडीज फर्स्ट, यह हमारे साथ एक तरीके से मजाक नहीं है तो और क्या है।
नड्डा ने वैदिक काल का जिक्र करते हुए कहा कि वैदिक काल में जब आदि शंकराचार्य के साथ मंडन मिश्र जी का शास्त्रार्थ हुआ तो उसमें न्यायाधीश की भूमिका मंडल मिश्रा की पत्नी उभय भारती ने निभाई।
नड्डा ने इसके उपरांत यजुर्वेद का उल्लेख करते हुए कहा कि यजुर्वेद में महिलाओं को बराबर का स्थान दिया गया और कहा गया कि राजा यदि न्याय प्रेमी है तो रानी भी न्याय प्रेमी होनी चाहिए। यजुर्वेद में इतनी दूर की सोच रखी गई थी।
नड्डा ने चौथी शताब्दी का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रभावती गुप्त, भारतीय इतिहास में प्रथम राज जिन्होंने किया, वह बताता है कि भारतीय इतिहास में महिलाओं का कितना गौरवशाली स्थान था। उन्होंने रानी जीजाबाई का उल्लेख किया।
नड्डा ने कहा कि अध्यात्म की दुनिया में अहिल्याबाई होलकर को हम सब जानते हैं। कैसे उन्होंने मंदिरों का नव निर्माण किया, वह बताता है महिलाओं का हमारे सामाजिक व आध्यात्मिक जीवन में किस प्रकार का स्थान रहा है।
नड्डा ने रानी लक्ष्मीबाई का उल्लेख करते हुए कहा कि 1857 की क्रांति की लड़ाई में उनका योगदान हम भूल नहीं सकते।
नड्डा ने यह भी कहा कि आधुनिक युग में 21वीं शताब्दी महिलाओं की शताब्दी है। चाहे ज्ञान हो, चाहे विज्ञान हो, चाहे शिक्षा हो, चाहे सैन्य सुरक्षा हो, हमें खुशी है आज हमारे भारत की महिलाओं ने अपने आप को प्रतिस्थापित किया है।
उन्होंने कहा कि अभी तक आजाद भारत में 12 महिलाएं मुख्यमंत्री बनी हैं। महिलाओं ने मतदान का अधिकार पाने के लिए भी लंबा संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि 1931 में सरोजिनी नायडू ने ब्रिटिश सरकार को पत्र लिखकर कहा था कि नॉमिनेट नहीं, इलेक्ट होकर आना है।