काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) ने ‘कलिपटनापू फाउंडेशन’ के साथ एक समझौता किया है। इसके तहत विश्वविद्यालय स्थित रसायन शास्त्र के ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन छात्रों के लिए 40 छात्रवृत्तियां स्थापित की जाएंगी। कलिपटनापू कोंडिया की स्मृति में यह छात्रवृत्तियां आरंभ करने के लिए उनसे जुड़ा यह फाउंडेशन विश्वविद्यालय को एक करोड़ रुपये की धनराशि देगा।
विश्वविद्यालय के मुताबिक कलिपटनापू कोंडिया ने विश्वविद्यालय से बीएससी तथा एमएसससी की उपाधियां हासिल की थीं। वे वर्ष 1922 से 1941 तक विश्वविद्यालय में रसायनशास्त्र के शिक्षक भी रहे। वे रसायनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष भी रहे। वर्ष 1941 में विश्वविद्यालय छोड़ कर, कोंडिया स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ गए तथा पांच वर्ष तक जेल में भी रहे। जेल से बाहर आने के पश्चात उन्होंने आंध्र प्रदेश में एक केमिकल फैक्टरी स्थापित की तथा देश को आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में आगे ले जाने हेतु योगदान दिया।
कलिपटनापू फाउंडेशन उनके परिवार, कोंडिया के पुत्र डॉ. इंदुशेखर राव, उनकी पुत्री इंदिरा देवी, तथा पौत्र चैतन्य कलिपटनापू ने स्थापित किया है। डॉ. इन्दुशेखर ने एएफएमसी पुणे से एमबीबीएस की पढ़ाई की तथा आंध्र प्रदेश चिकित्सा व स्वास्थ्य सेवाओं के लिए कार्य किया। इंदिरा देवी का जन्म वाराणसी में हुआ था, तथा वे 8 वर्ष की उम्र तक वाराणसी में रही थीं। कोंडिया के पौत्र चैतन्य कलिपटनापू ने पिलानी से इंजीनियरिंग स्नातक की डिग्री हासिल की तथा फ्रांस से एमबीए किया है। वे अभी फ्रांस में एक अत्यंत सफल यूनिकॉर्न कंपनी के संस्थापक हैं।
कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन की उपस्थिति में कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह तथा इंदुशेखर राव ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान इन्दुशेखर राव की पत्नी, चैतन्य कलिपटनापू तथा भतीजी समेत कोंडिया परिवार के सदस्य भी मौजूद रहे।
चैतन्य ने कहा कि किसी भी विद्यार्थी के लिए अपने विश्वविद्यालय के प्रति आभार व्यक्त करने का सबसे उत्तम माध्यम है, ‘पे फॉरवर्ड’ के विचार से शिक्षा के लिए योगदान करना। उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों की आने वाली पीढ़ियों के लिए योगदान देना ही ‘पे फॉरवर्ड’ है।
कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने शिक्षा अर्जन हेतु विद्यार्थियों के प्रयासों को सहयोग के लिए दानराशि हेतु कोंडिया परिवार का धन्यवाद जताया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के योगदान प्रतिभावान, ज़रूरतमंद, तथा वंचित परिवारों से आने वाले विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराने के काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु विश्वविद्यालय को सहयोग करते हैं।