सुप्रीम कोर्ट के 75 साल के इतिहास में पहली बार सोमवार से लोक अदालत शुरू की गई। सुप्रीम कोर्ट की सात बेंचें शुक्रवार तक रोजाना दोपहर दो बजे बाद लोक अदालत लगाकर पक्षकारों की सहमति से मामलों को निपटाएंगी। पहले दिन पहली बेंच में खुद चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा के साथ सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन के अध्यक्ष विपिन नायर ने लोक अदालत के मामलों की सुनवाई की। सीजेआइ ने लोक अदालत की शुरूआत के साथ वकीलों से अनुरोध किया कि यथासंभव इस पहल का लाभ उठाएं। उन्होंने आज के अनुभव को शानदार बताया।14000 मामले निपटाने का लक्ष्य।
सुप्रीम कोर्ट लोक अदालत में आपसी सहमति से निपटाने के लिए 14000 मामले चिन्हित किए गए हैं। इनमें वैवाहिक विवाद, सर्विस, लेबर, भूमि अधिग्रहण, मोटर वाहन दुर्घटना और चैक अनादरण के मामले शामिल किए गए हैं।
सीजेआइ ने इस अवसर पर लोक अदालत से पहले हुए समझौते का जिक्र किया जिसमें पति द्वारा तलाक और पत्नी की ओर से भरण पोषण के मामले को दोनों पक्षों की सहमति से समाप्त कर परिवार के साथ रहने का फैसला किया। सीजेआइ ने कहा कि जज फैसला करते हैं लेकिन खुशी तब मिलती है जब दोनों पक्ष सहमति से फैसले करने को राजी हो जाएं।