दिल्ली हाईकोर्ट से शुक्रवार को कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। आयकर विभाग द्वारा पार्टी के खातों का तीन साल का री-असेसमेंट करने को चुनौती देने वाली कांग्रेस की याचिकाओं को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि प्रथमदृष्ट्या ऐसा प्रतीत होता है कि विभाग ने 520 करोड़ रुपये के बेहिसाब लेनदेन के संबंध में पर्याप्त और ठोस सबूत एकत्र किए हैं।
अपने 45 पेज के फैसले में कोर्ट ने कांग्रेस की रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया जिसमें असेसमेंट ईयर 2014-15, 2015-16 और 2016-17 के खातों के री-असेसमेंट पर यह कहते हुए आपत्ति की गई थी कि समय सीमा पूरी होने के कारण इन्हें दुबारा नहीं खोला जा सकता। कोर्ट ने यह तर्क नहीं माना और अपने आदेश में आयकर विभाग को सर्च कार्यवाही में मिले बेहिसाब लेन-देन के सबूतों का भी जिक्र किया है।
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में आयकर विभाग द्वारा सर्च कार्यवाही से जुटाए गए सबूतों के आधार पर जिक्र किया है कि कमलनाथ के आधिकारिक आवास से एआईसीसी के 24, अकबर रोड, नई दिल्ली मुख्यालय में 20 करोड़ रुपए भेजने, दिग्विजय सिंह को 90 लाख रुपये का भुगतान दर्ज किया है। एक अन्य डायरी का जिक्र भी किया है जिसमें अलग-अलग 17 करोड़ रुपये का भुगतान बताया गया है।
आयकर विभाग द्वारा अप्रेल 2019 में चार स्थानों पर ली गई तलाशी में मिले दस्तावेजों का जिक्र करते हुए उनके हवाले से कोर्ट ने आदेश में कहा है कि लोकसभा चुनाव 2019, मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 व 2013 के दौरान बेहिसाब लेनदेन किया गया। आयकर विभाग को डायरी व एक्सेल शीट से उम्मीदवारों, सांसदों-विधायकों को धन बांटने तथा सरकारी विभागों और निगमों, शराब निर्माताओं, उद्योग संस्थाओं और व्यक्तियों द्वारा किए गए भुगतान और योगदान का विवरण मिला है।