इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मदरसों के खिलाफ मदरसा आधुनिकीकरण स्कीम के घोटाले की एसआईटी जांच रिपोर्ट को रद्द करने से साफ़ मना कर दिया है इससे आजमगढ़ के 313 मदरसों पर एक्शन का रास्ता क्लियर हो गया है। कोर्ट ने विशेष सचिव गृह द्वारा रिपोर्ट पर एक्शन लेने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है।
न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र ने आजमगढ़ के मुबारकपुर स्थित अंजुमन सिद्दीकिया जामिया नूरूल उलूम व चार अन्य और प्रबंध समिति मदरसा इस्लामिया और 12 अन्य की याचिका पर आदेश दिया है। कोर्ट के इस आदेश से घोटाले में शामिल मदरसों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है। इस मामले में कोर्ट ने कहा कि सरकार ने मदरसे की मान्यता वापस नहीं ली और निरस्त नहीं की है। इसके बाद कहा कि याचिका में अनुच्छेद 226 के तहत एसआईटी जांच रिपोर्ट रद्द नहीं की जा सकती है।
आपको बता दें कि सरकार स्कीम के तहत योग्य अध्यापक नियुक्त करने व वित्तीय सहायता दी जाती है, जिसके तहत मदरसों को भारी धनराशि दी गई है। इस घोटाले की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई, जिसने 30 नवंबर 2022 को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी को अपनी संस्तुति के साथ रिपोर्ट पेश की।
घोटाला करने वाले आजमगढ़ के 313 मदरसों के खिलाफ एक्शन लेने का सुझाव दिया गया। साथ ही एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की गई। इसी रिपोर्ट पर विशेष सचिव गृह ने एक्शन लेने का आदेश दिया था। कोर्ट ने याचिकाओं की सुनवाई करते हुए हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।