रालोद के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने सपा के साथ अपनी पार्टी के मतभेदों को व्यक्त करने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई है। राय ने कहा कि रालोद 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सपा के साथ अपने संबंधों पर पुनर्विचार कर सकता है।
सपा के साथ गठबंधन को लेकर प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने कहा,
हां, ये एक सच्चाई है। रालोद अपने दम पर अधिक सीटें जीत सकती थी या यदि सपा ने रालोद को कुछ जीतने योग्य सीटें दे दी होतीं। गठबंधन ने पार्टी को उन सीटों पर चुनाव लड़ने से वंचित कर दिया जो उसका गढ़ थीं। उदाहरण के लिए, आरएलडी उम्मीदवार 2017 में मथुरा की मांट विधानसभा सीट केवल कुछ सौ वोटों के मामूली अंतर से हार गए थे, जब पार्टी अपने दम पर लड़ी थी। लेकिन 2022 में सपा ने वह सीट हमें नहीं दी और अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया जो हार गया।
राय ने आगे कहा कि मांट सीट से आरएलडी उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारने से क्षेत्र के जाट मतदाता नाराज हो गए और उन्होंने मथुरा, आगरा और हाथरस जिलों की कई सीटों पर भाजपा का समर्थन करने का फैसला किया। बाद में चुनाव आयोग ने रालोद से राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा वापस ले लिया और अगर सपा रालोद को कुछ और सीटें दे देती तो इस स्थिति से बचा जा सकता था।
वह कहते हैं कि,
हमारा लक्ष्य 2024 में अधिक से अधिक सीटें जीतने के उद्देश्य से कम से कम एक दर्जन सीटों पर चुनाव लड़ना है ताकि आरएलडी राज्य स्तरीय पार्टी के रूप में अपनी खोई हुई पहचान वापस पा सके। मुजफ्फरनगर, बागपत, अमरोहा, बिजनोर, नगीना, मेरठ, मथुरा, हाथरस और, फ़तेहपुर कुछ ऐसी लोकसभा सीटें हैं जहां पार्टी स्वाभाविक दावेदार है। इस बार हम पूर्वी यूपी की देवरिया सीट से भी चुनाव लड़ना चाहेंगे।
रालोद के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने कहा कि, हम सपा के साथ अपने रिश्ते कायम रखने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उनकी तरफ से कई बार संकेत सकारात्मक नहीं होते। उदाहरण के लिए एसपी ने मुजफ्फरनगर लोकसभा क्षेत्र के लिए भी पार्टी प्रभारी नियुक्त किया है।
उन्होंने कहा कि दिवंगत चौधरी अजित सिंह 2019 में लगभग 5,000 वोटों से हार गए थे और इसलिए इस सीट पर आरएलडी का पहला दावा है। हाल के निकाय चुनावों के लिए टिकट वितरण के दौरान भी समस्याएं सामने आईं। सपा की इस तरह की एकतरफा कार्रवाई से अनावश्यक रूप से गठबंधन में दरार पैदा हो रही है।
राय ने कहा कि हमारी प्राथमिकता भाजपा के खिलाफ गठबंधन में कांग्रेस को साथ लेना है। हमारा दृढ़ विश्वास है कि कांग्रेस के बिना कोई भी भाजपा विरोधी गठबंधन काम नहीं करेगा और लाभ नहीं देगा। चुनौती का सामना करने के लिए सपा-रालोद गठबंधन पर्याप्त नहीं है।