किसान नेता नरेश टिकैत का कहना है कि उनकी भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने 2014 के लोकसभा चुनाव में खुले तौर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का समर्थन किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद पार्टी उनकी उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी। टिकैत ने अफसोस जताया कि केंद्र की भाजपा नीत सरकार ने 2020-21 में दिल्ली की सीमाओं पर 13 महीने तक चले विरोध प्रदर्शन के दौरान लगभग 750 किसानों की शहादत को स्वीकार नहीं किया । उन्होंने दावा किया कि इस पार्टी में तानाशाही की बू आती है। हालांकि, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा में प्रभावशाली जाट समुदाय के बालियान खाप के चौधरी टिकैत ने कहा कि भाकियू सदस्य आगामी लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी के उम्मीदवारों का समर्थन करने के लिए तैयार हैं।

भाकियू, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) का हिस्सा है। किसान संघों की इस एक छत्र संस्था ने अब निरस्त किए गए कृषि कानूनों को लेकर 2020-21 में केंद्र के खिलाफ बड़ा विरोध प्रदर्शन किया था। टिकैत ने कहा कि भारतीय किसान संघ एक बड़ा संगठन है जहां प्रत्येक सदस्य का किसी न किसी पार्टी के साथ कोई न कोई संबंध या जुड़ाव होता है। उन्होंने कहा कि कुछ उम्मीदवार के रिश्तेदार हैं, कुछ एक ही समुदाय (उम्मीदवार के रूप में) से हैं या उनके साथ व्यक्तिगत स्तर पर संबंध रखते हैं। इसलिए हम (भाकियू सदस्यों के लिए) ऐसे निर्णय लेने में बहुत सफल नहीं हैं कि किसे समर्थन देना है।

उन्होंने कहा कि मुझे यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि हमने 2014 में खुले तौर पर भाजपा का समर्थन किया था। लेकिन वे हमारी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। टिकैत ने कहा कि उन्होंने कि राम राज की बात की थी… उन्होंने अपने मानकों के अनुसार अच्छा काम किया होगा, लेकिन बहुत कुछ नजरअंदाज कर दिया गया।

उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के सिसौली गांव में अपने घर पर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि सरकार ने किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज कर दिया है। टिकैत ने कहा किसानों का विरोध 13 महीने तक चला और लगभग 750 किसान शहीद हो गए, लेकिन वे (सरकार) इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। यह एक बड़ा आंदोलन था जिसकी दुनिया भर में चर्चा हुई।
उन्होंने कहा कि भाजपा से तानाशाही की बू आती है। इस सरकार से तानाशाही की बू आती है। टिकैत ने कहा,”कभी सरकार को झुकना पड़ता है और कभी लोगों को झुकना पड़ता है। लेकिन उनके लिए, सब कुछ उनके द्वारा तय किए गए अनुसार होगा। इस तरह काम नहीं होता है। इससे जनता को नुकसान होता है और सरकार को भी विरोध का सामना करना पड़ता है। इसलिए, सरकार को संतुलन बनाने और एक अच्छा माहौल बनाने की जरूरत है।

आगामी चुनाव में भाजपा को समर्थन देने के राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के फैसले के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जयंत चौधरी के नेतृत्व वाली पार्टी के अचानक फैसले ने लोगों को हैरान कर दिया है और भाकियू को इसके लिये खेद है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में जिम्मेदार लोगों से कोई सलाह-मशविरा नहीं किया गया। मुझसे इस बारे में सलाह-मशविरा नहीं किया गया। अगर आप मुझे छोड़ भी दें, तो आसपास और भी बड़े लोग हैं, जिनसे सलाह-मशविरा किया जाना चाहिए था।

जब उनसे पूछा गया कि क्या भाकियू चुनाव में रालोद का विरोध करेगा, तो उन्होंने कहा कि बिल्कुल नहीं। हम उनके खिलाफ कुछ भी क्यों कहेंगे? बात बस इतनी है कि जो हुआ उसका हमें अफसोस है। आगामी चुनाव के बारे में, टिकैत ने कहा कि कई मुद्दे हैं और भाकियू को बहुत सारे लोगों का समर्थन प्राप्त है, लेकिन वह अपने सदस्यों को यह नहीं कह रहा है कि उन्हें किसे वोट देना है।

हालांकि कि उन्होंने कहा कि 17 अप्रैल को सिसौली में एक महापंचायत होने वाली है, जहां चुनाव के संबंध में सामूहिक निर्णय लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मुझे यह कहने में कोई झिझक नहीं है, यह चुनाव का समय है जब वे हमारी बात कम सुनते हैं। हम उनके लिए निर्णय नहीं ले सकते। उन्हें जहां भी मन हो वोट दें लेकिन किसी भी पार्टी का झंडा नहीं पकड़ना चाहिए । पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 19 अप्रैल और 26 अप्रैल को मतदान होगा। वोटों की गिनती चार जून को होगी।

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